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Jharkhand Assembly Election 2024 : जयराम महतो को बड़ा झटका, सोनू यादव ने थामा JMM का दामन

गढ़वा के रमकंडा निवासी सोनू यादव जो पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से जुड़े थे, उन्होने चुनावी तैयारी के दौरान जेएलकेएम से टिकट लिया था। हालांकि, अब मतदान से महज एक सप्ताह पहले उन्होंने झामुमो में शामिल होने का निर्णय लिया।

by Rakesh Pandey
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रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियां तेज हो गई हैं और इस बीच गढ़वा जिले से जयराम महतो की पार्टी, झारखंड लोक समिति (JLKM) को एक बड़ा झटका लगा है। गढ़वा में चुनावी मैदान में उतरे JLKM के प्रत्याशी और स्थानीय नेता सोनू यादव ने हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का हाथ थाम लिया। यह कदम गढ़वा की राजनीति में हलचल पैदा करने वाला है, क्योंकि सोनू यादव की यह पार्टी परिवर्तन के साथ-साथ गठबंधन में भी महत्वपूर्ण स्थिति में आते जा रहे हैं।

सोनू यादव का झामुमो में शामिल होना

गढ़वा के रमकंडा निवासी सोनू यादव जो पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से जुड़े थे, ने चुनावी तैयारी के दौरान जेएलकेएम से टिकट लिया था। हालांकि, अब मतदान से महज एक सप्ताह पहले उन्होंने झामुमो में शामिल होने का निर्णय लिया। गढ़वा विधायक और झामुमो के प्रमुख प्रत्याशी मिथलेश कुमार ठाकुर ने उन्हें माला पहनाकर पार्टी में स्वागत किया। इसने गढ़वा की राजनीतिक स्थिति को और भी अधिक दिलचस्प बना दिया है, क्योंकि सोनू यादव का यह कदम जेएलकेएम और जयराम महतो के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

ब्रजेश कुमार तुरी का झामुमो में प्रवेश

इसके अलावा गढ़वा के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी और राष्ट्रीय समानता दल के नेता ब्रजेश कुमार तुरी भी अब झामुमो में शामिल हो गए हैं। उन्होंने गढ़वा के विकास कार्यों से प्रभावित होकर इस पार्टी को अपनी राजनीतिक दिशा के रूप में चुना है। ब्रजेश तुरी ने कहा कि गढ़वा में पिछले पांच सालों में जो विकास हुआ है, वह अद्वितीय है और इसे देखते हुए उन्हें विश्वास है कि झामुमो के नेतृत्व में गढ़वा की समृद्धि और बढ़ेगी। इस कदम ने झामुमो के लिए गढ़वा में अपनी स्थिति मजबूत करने का एक और अवसर प्रस्तुत किया है।

सत्यनारायण यादव के बेटे का झामुमो में शामिल होना

गढ़वा की राजनीति में एक और दिलचस्प घटनाक्रम यह है कि जिला परिषद उपाध्यक्ष सत्यनारायण यादव के बेटे सोनू यादव ने जब झामुमो का दामन थामा, तो इससे गढ़वा की राजनीति में और भी उथल-पुथल मच गई। कुछ महीने पहले तक झामुमो के सदस्य रहे सत्यनारायण यादव ने पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होने का निर्णय लिया था। इसके बाद उन्होंने सपा प्रत्याशी गिरिनाथ सिंह के साथ मिलकर गढ़वा में चुनावी माहौल को गर्म कर दिया था।

झामुमो ने इस मामले में उनसे स्पष्ट जवाब मांगा था, लेकिन सत्यनारायण यादव ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने से इंकार कर दिया। अब, उनके बेटे के झामुमो में शामिल होने से गढ़वा की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। यह घटनाक्रम खासतौर पर गढ़वा की राजनीतिक बिसात पर गहरा प्रभाव डालने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि यह पिता-पुत्र के बीच राजनीतिक मतभेद और झामुमो के भीतर अंदरूनी दरार की ओर इशारा करता है।

गढ़वा की राजनीति में बदलाव की लहर

गढ़वा जिले की राजनीति में इन घटनाक्रमों ने एक नई चर्चा को जन्म दिया है। पहले जहां गढ़वा में विपक्षी दलों के बीच ठनी हुई थी, अब यहां झामुमो और सपा के बीच ही मुकाबला बनता दिख रहा है। इस बीच, जिन नेताओं ने पार्टी बदलने का कदम उठाया है। उनकी भविष्यवाणी इस चुनावी लड़ाई में बहुत मायने रखती है।

सोनू यादव का झामुमो में शामिल होना गढ़वा में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत है। यह भी संकेत देता है कि पार्टी बदलने की राजनीति अब गढ़वा में गर्मा चुकी है। साथ ही, यह देखने वाली बात होगी कि चुनाव के नजदीक आते ही यह उथल-पुथल झामुमो के लिए लाभकारी साबित होती है या नहीं।

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में गढ़वा की राजनीति पर इन सभी घटनाओं का गहरा असर देखने को मिल सकता है। गढ़वा की चुनावी तस्वीर अब पूरी तरह से बदल चुकी है, जहां एक ओर झामुमो अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के बीच दलबदल और गठबंधन की राजनीति गर्म है। ऐसे में यह चुनाव परिणामों के लिहाज से बेहद दिलचस्प होने वाला है।

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