नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के सदस्य और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता सुनील कुमार सिंह के निष्कासन को रद्द कर दिया। अदालत ने यह कहा कि उनका आचरण भले ही अशोभनीय था, लेकिन विधान परिषद द्वारा दी गई सजा अत्यधिक थी।
क्या था पूरा मामला?
बिहार विधान परिषद में गत वर्ष जुलाई में सुनील कुमार सिंह को उनके अशोभनीय आचरण के कारण निष्कासित कर दिया गया था। उन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ सदन में नारेबाजी करने और उनकी हाव-भाव की नकल करके उनका अपमान करने का आरोप था। इसके अलावा, आचार समिति के सामने पेश होने के बाद उन्होंने सदस्यों की योग्यता पर भी सवाल उठाए थे।
अदालत ने इस निष्कासन को रद्द करते हुए इसे अत्यधिक सजा माना। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह निर्णय सुनाया और कहा कि विधान परिषद को इस मामले में अधिक उदारता बरतनी चाहिए थी।
अदालत का आदेश
उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग द्वारा सुनील कुमार सिंह की सीट पर उपचुनाव की घोषणा को भी खारिज कर दिया। साथ ही, अदालत ने सिंह के ‘अशोभनीय’ आचरण के लिए पहले से ही बिताई गई निलंबन की अवधि को सजा के रूप में माना, और उन्हें इस समय के लिए कोई पारिश्रमिक न लेने का आदेश दिया।
निष्कासन के बाद की स्थिति
गौरतलब है कि 13 फरवरी 2024 को, जब बिहार विधान परिषद में तीखी नोकझोंक चल रही थी, सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की थी, जिसे अपमानजनक माना गया। इसके बाद उनके निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था।