नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण को लेकर मोदी सरकार की कूटनीति की बड़ी जीत बताया है। उन्होंने कहा कि यह प्रत्यर्पण भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है। शाह ने पूर्ववर्ती सरकारों पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि ‘जिनके शासन में विस्फोट हुए, वे दोषियों को भारत नहीं ला सके’।
तहव्वुर राणा का भारत प्रत्यर्पण : आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम
तहव्वुर राणा पर 26/11 मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोप है, जिसमें 160 से अधिक निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारत में उसके खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा दर्ज है, जिसे एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने 2008 में शुरू किया था।
भारत सरकार अब राणा को भारतीय न्याय प्रणाली के तहत कटघरे में लाने के लिए तैयार है। शाह ने कहा, ‘यह भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उन सभी अपराधियों को कानून के दायरे में लाए जिन्होंने भारत की भूमि और लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया है’।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण पर रोक की याचिका की खारिज
तहव्वुर राणा ने 20 मार्च 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष एक आपातकालीन याचिका दायर की थी, जिसमें भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, 7 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका सिरे से खारिज कर दी, जिससे भारत को कानूनी रूप से राणा को प्रत्यर्पित करने का मार्ग मिल गया।
मुंबई पुलिस और एनआईए की अगली कार्रवाई पर नजर
राणा को अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे आतंकी संगठन से जुड़ाव और मुंबई हमलों में भौतिक सहायता देने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। अब जब उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया अंतिम चरण में है, भारतीय एजेंसियों द्वारा उसे भारत लाकर पूछताछ और न्यायिक कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई पुलिस को अब तक कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है कि वह राणा को हिरासत में लेने के लिए आवेदन करेगी या नहीं। हालांकि, प्रत्यर्पण की कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मुंबई पुलिस की ओर से आगे की कार्रवाई संभव है।