Patna: आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार ने आम जनता को राहत देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना पर विचार कर रही है। ऊर्जा विभाग द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव को वित्त विभाग से स्वीकृति मिल गई है और अब यह कैबिनेट की मंजूरी की प्रतीक्षा में है।
वित्त विभाग से मिली स्वीकृति, अब कैबिनेट की बारी
ऊर्जा विभाग ने हर परिवार को 100 यूनिट फ्री बिजली देने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था, जिसे अब स्वीकृति मिल चुकी है। इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए अब इसे नीतीश कैबिनेट में पेश किया जाएगा। योजना को लागू करने के लिए सरकार पर अतिरिक्त 5000 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ आएगा।
हर उपभोक्ता को 700-800 रु. की होगी मासिक बचत
अगर यह योजना लागू होती है तो इससे बिहार के बिजली उपभोक्ताओं को हर महीने लगभग ₹700 से ₹800 की सीधी बचत होगी। वर्तमान में भी राज्य सरकार बिजली पर सब्सिडी देती है, जिस पर लगभग ₹15,000 करोड़ का सालाना खर्च आता है।
चुनाव पूर्व बड़े फैसले: सामाजिक पेंशन, मानदेय वृद्धि व आरक्षण
नीतीश सरकार ने चुनावी साल में कई कल्याणकारी फैसले लिए हैं। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 किया गया है। जीविका दीदियों और त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का मानदेय भी बढ़ाया गया है। महिलाओं के लिए 35% आरक्षण लागू करने के साथ डोमिसाइल नीति भी जोड़ी गई है।
फ्री बिजली पर बढ़ी सियासी हलचल, विपक्ष को जवाब
इस योजना को विपक्ष द्वारा उठाई गई 200 यूनिट मुफ्त बिजली की मांग के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि “नीतीश कुमार के शासन में हर घर में बिजली पहुंच चुकी है। लालटेन का युग खत्म हो गया है।”
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “अगर उन्हें फ्री बिजली से दिक्कत है तो घर में लालटेन जला लें। सरकार बिजली पर सब्सिडी दे रही है और आगे भी राहत देने पर विचार कर रही है।”
योजना कैसे लागू होगी
प्रस्ताव के अनुसार, यदि कोई उपभोक्ता 100 यूनिट तक बिजली का उपयोग करता है तो उसे कोई भुगतान नहीं करना होगा। हालांकि, 100 यूनिट से अधिक की खपत होने पर सामान्य दर से शुल्क देना होगा। प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद राज्य में योजना लागू कर दी जाएगी।
राजनीतिक दृष्टि से अहम फैसला, जनता को सीधा लाभ
यह निर्णय चुनावी दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है। इससे एक ओर सरकार को जनता का समर्थन मिल सकता है, वहीं दूसरी ओर यह विपक्ष के घोषणापत्रों को संतुलित करने की रणनीति भी हो सकती है।
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