पटना : बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारी और ‘खाकी द बिहार चैप्टर’ वेब सीरीज में अपनी भूमिका के लिए सुर्खियों में आए अमित लोढ़ा को नीतीश सरकार ने बड़ा प्रमोशन दिया है। नीतीश सरकार ने उन्हें अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) के पद पर पदोन्नति दी है, जिसके बाद वह एक बार फिर से चर्चा में हैं। इस प्रमोशन से पहले वह राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो में पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर तैनात थे।

आईजी से एडीजी बनने तक का सफर
अमित लोढ़ा को एडीजी के पद पर प्रमोट किए जाने के साथ-साथ उनकी कार्यशैली और प्रशासनिक दक्षता को मान्यता मिली है। गृह विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, उन्हें उनकी वर्तमान तैनाती के स्थान से पदोन्नति दी गई है। अमित लोढ़ा 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्होंने अपने कॅरियर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। अब वह बिहार पुलिस के उच्चतम अधिकारियों में शामिल हो गए हैं।

जूनियर आईपीएस की वजह से आया प्रमोशन का दबाव
अमित लोढ़ा का प्रमोशन नीतीश सरकार के लिए एक तरह से मजबूरी बन गई थी। हाल ही में 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी रत्न संजय कटियार को भी एडीजी के पद पर तैनात किया गया था, जिससे लोढ़ा को इस पद पर प्रमोशन मिलना अनिवार्य हो गया था। सूत्रों के अनुसार, रत्न संजय को प्रमोशन दिए जाने के बाद अमित लोढ़ा ने इस पर आपत्ति जताई थी, क्योंकि वह अपने बैच के सीनियर अधिकारी हैं। इस स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने उन्हें एडीजी के पद पर प्रमोट किया।

‘खाकी’ के बाद बनीं नई चुनौतियां
अमित लोढ़ा का कॅरियर तब और ज्यादा सुर्खियों में आया, जब वे ‘खाकी द बिहार चैप्टर’ नामक वेब सीरीज का हिस्सा बने। इस सीरीज में उनके किरदार को ‘पुलिस वाला हीरो’ के तौर पर दिखाया गया था, जो कुख्यात अपराधियों को पकड़ने में अपनी बहादुरी का परिचय देता है। हालांकि, इस सीरीज के प्रसारित होने के बाद उनका नाम बिहार सरकार के निशाने पर भी आ गया था। कुछ विवादों के कारण उन पर कई मुकदमे भी दर्ज किए गए थे, लेकिन अब तक इन आरोपों में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका है।

खाकी के प्रभाव और सरकार से रिश्ते
‘खाकी’ वेब सीरीज में अमित लोढ़ा का किरदार काफी प्रेरणादायक था। उन्होंने सीरीज में कुख्यात अपराधी अशोक महतो और अन्य दुर्दांत अपराधियों को पकड़ते हुए अपनी कड़ी मेहनत और बहादुरी दिखाई। इस सीरीज ने लोढ़ा को एक नायक के रूप में स्थापित किया, लेकिन इसके बाद उनका कॅरियर कई विवादों में भी घिरा। कुछ लोगों का मानना था कि ‘खाकी’ के जरिए पुलिस के कुछ कार्यों और घटनाओं को जिस तरीके से पेश किया गया, वह सरकार और पुलिस विभाग के लिए परेशानी का कारण बन सकता था। हालांकि, इन आरोपों के बावजूद अमित लोढ़ा की छवि ‘पुलिस वाले हीरो’ के रूप में बनी रही।