बिहार। बिहार के दरभंगा जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक नाबालिग लड़के को मृत घोषित कर उसका अंतिम संस्कार किए जाने के 70 दिन बाद वह अपने घर लौट आया।
दरभंगा में नाबालिग लड़के की रहस्यमय वापसी
दरभंगा जिले में मब्बी थाना क्षेत्र के सिमरा निहालपुर गांव में रहने वाला 15 वर्षीय भोलाराम 8 फरवरी 2025 को अचानक लापता हो गया था। परिवार ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। कुछ दिन बाद, परिवार को 45,000 रुपये की फिरौती की मांग करने वाला फोन आया और उन्होंने 5,000 रुपये भी ट्रांसफर किए।
28 फरवरी को एक गंभीर रूप से घायल लड़का रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला। घायल का चेहरा विकृत हो चुका था, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 1 मार्च को उसकी मौत हो गई। परिवार को शव की पहचान के लिए बुलाया गया। परिवार ने डीएनए परीक्षण की मांग की। परिजनों ने बताया कि पुलिस ने दबाव डालते हुए शव की पहचान स्वीकार करने के लिए मजबूर किया।
शव के साथ प्रदर्शन, पुलिस के साथ झड़प
इस घटना ने दरभंगा में भारी आक्रोश पैदा किया। स्थानीय लोगों ने शव के साथ प्रदर्शन किया और पुलिस के साथ झड़पें हुईं। संबंधित थाना प्रभारी को लापरवाही के आरोप में निलंबित किया गया। परिवार को कल्याण विभाग द्वारा 4 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी गई।
नाबालिग की चौंकाने वाली कहानी
70 दिन बाद, लड़का नेपाल से अपने घर लौट आया। दरभंगा सिविल कोर्ट में भोलाराम ने अपने वकील के साथ पेश होकर बताया कि उसे कुछ अज्ञात लोगों ने मुंह पर रूमाल रख कर बेहोश कर दिया था। उसे जब होश आया तो उसे पता चला कि वह नेपाल में हैं। एक दिन जब अपहरणकर्ता दरवाजा खुला छोड़ गए, तो उसने स्थानीय लोगों की मदद से अपने परिवार से संपर्क किया। परिवारवालों ने वीडियो कॉल के माध्यम से उसकी पहचान की पुष्टि की और वे लोग नेपाल जाकर भोलाराम को भारत ले आए।
शव की पहचान के लिए डाला गया दबाव
भोलाराम के भाई ने बताया कि उस समय परिवार मानसिक तनाव में था और रात के अंधेरे में शव की पहचान स्वीकार करने के लिए पुलिस द्वारा दबाव डाला गया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई
परिवार ने अधिकारियों को घटनाक्रम के बारे में सूचित किया है और मुआवजा राशि लौटाने की इच्छा जताई है। पुलिस ने पुष्टि की है कि लड़का जीवित लौट आया है और मामले की जांच जारी है। पुलिस ने कहा है कि अपहरण और शव की गलत पहचान से संबंधित तथ्यों की पुष्टि के लिए जांच की जा रही है।
इस घटना ने न केवल दरभंगा बल्कि पूरे बिहार में पुलिस जांच प्रक्रिया और मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। अधिकारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करेंगे।