जमशेदपुर : झारखंड के आदिवासी समाज के महान नेता भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर, मुंबई टकसाल ने 150 रुपये का चांदी का सिक्का जारी किया है। इस सिक्के का वजन 40 ग्राम चांदी का है और इसे सिक्का संग्रहकर्ता क्लब, जमशेदपुर के महासचिव प्रेम पीयूष कुमार द्वारा साझा किया गया। यह सिक्का शीघ्र ही सिक्का संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा, जो झारखंड का पहला और एकमात्र सिक्का संग्रहालय है।
भगवान बिरसा मुंडा का योगदान
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को रांची जिले के उलिहातु गांव में हुआ था। उन्हें आदिवासी समाज का धार्मिक और राजनीतिक नेता माना जाता है। बिरसा जी के नेतृत्व में आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की लड़ाई लड़ी। वे 19वीं सदी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेताओं में शामिल हैं।
बिरसा मुंडा की संघर्ष यात्रा
बचपन से ही बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश अत्याचारों और उनकी शोषणकारी नीतियों का विरोध किया। अंग्रेजों ने आदिवासियों की जमीन, जंगल और कृषि पर प्रतिबंध लगाकर उनका जीवन मुश्किल कर दिया था। बिरसा जी ने 1894 में कर माफी के लिए विद्रोह का नेतृत्व किया और मुंडा विद्रोह को गति दी।
- 1898 में मुंडाओं की तांगा नदी के किनारे अंग्रेजों से झड़प हुई थी।
- 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर संघर्ष हुआ, जिसमें कई आदिवासी मारे गए।
- 3 फरवरी 1900 को बिरसा मुंडा और उनके शिष्य गिरफ्तार कर लिए गए।
- उनका जीवन संक्षिप्त था, और उन्होंने 25 वर्ष की आयु में 9 जून 1900 को रांची जेल में अपने प्राणों की आहुति दी।
- उनका योगदान आज भी आदिवासी समुदाय में ‘धरती बाबा’ के रूप में पूजा जाता है।
झारखंड का पहला सिक्का संग्रहालय
सिक्का संग्रहकर्ता क्लब, जमशेदपुर द्वारा संचालित सिक्का संग्रहालय झारखंड का पहला और एकमात्र सिक्का संग्रहालय है। यह संग्रहालय विभिन्न सिक्कों का अनूठा संग्रह प्रस्तुत करता है, जो भारतीय इतिहास, संस्कृति और विरासत को संजोने का कार्य करता है।