रांची: भाजपा ने सरना धर्म कोड के मुद्दे पर कांग्रेस और झामुमो को कठघरे में खड़ा करते हुए उन पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर कहा कि कांग्रेस और झामुमो का आदिवासी हितों के प्रति रवैया केवल दिखावा है। उन्होंने बताया कि 11 फरवरी 2014 को केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार, जिसमें कांग्रेस और झामुमो दोनों शामिल थे, ने आदिवासी कल्याण मंत्री वी. किशोर चंद्रदेव के माध्यम से सरना धर्म कोड की मांग को यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह अव्यवहारिक है। उस समय सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि यदि इस मांग को स्वीकार किया गया, तो अन्य धर्मों से भी इसी तरह की मांगें उठ सकती हैं। मौके पर रांची महानगर के मंत्री अजीत भगत, एसटी मोर्चा के महामंत्री अशोक मुंडा और महिला मोर्चा की मीडिया सह प्रभारी सोनी हेंब्रम भी मौजूद थीं।
प्रतुल शाह देव ने कहा कि आज जब कांग्रेस और झामुमो सत्ता से बाहर हैं, तो ये दोनों पार्टियां सरना धर्म कोड पर आंदोलन की बातें कर रही हैं। उन्होंने इसे राजनीतिक पाखंड बताते हुए कहा कि यह जनता को भ्रमित करने का प्रयास है, लेकिन अब लोग सब समझ चुके हैं। भाजपा प्रवक्ता ने झामुमो और कांग्रेस से सार्वजनिक रूप से आदिवासी समाज से माफी मांगने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सत्ता में रहते हुए सरना धर्म कोड को खारिज किया, आज वही आंदोलन का ढोंग कर रहे हैं।