जामताड़ा : नाला विधानसभा सीट पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की रणनीति ने भाजपा के लिए सफलता का नया रास्ता खोला। भाजपा से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले दिग्गज नेता और पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा बाटुल तथा वीरेंद्र मंडल ने अपना नामांकन वापस ले लिया और भाजपा में वापसी कर ली। यह कदम क्षेत्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
नाला सीट से हिंदुस्तान पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार ने भी नामांकन वापस लिया
खबर के अनुसार, भाजपा के प्रति बागियों की वापसी से प्रभावित होकर हिंदुस्तान पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार रामरंजन पंडित ने भी नाला सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया। इससे भाजपा को क्षेत्र में एक बढ़त मिलने की उम्मीद है, क्योंकि उनके विरोधी अब मैदान से हट गए हैं।
रितिका झा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर बाटुल को मनाया गया
भाजपा ने सत्यानंद झा बाटुल की पत्नी रितिका झा को महिला मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर बाटुल को फिर से पार्टी से जोड़ने में कामयाबी हासिल की। रितिका झा को यह पद देकर भाजपा ने न केवल बाटुल का समर्थन वापस पाया, बल्कि महिला मोर्चा में भी अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
वीरेंद्र मंडल के मानने की शर्तें अब तक अज्ञात
वीरेंद्र मंडल को किस शर्त पर वापस लाया गया, इसका अब तक खुलासा नहीं हुआ है। हालांकि, भाजपा ने उन्हें पार्टी में वापस लाकर एक मजबूत चुनावी स्थिति बनाई है। सूत्रों के अनुसार, मंडल और बाटुल दोनों ही आजसू से भाजपा में आए माधव चंद्र महतो को टिकट मिलने से नाराज थे।
भाजपा की इस रणनीति से विपक्ष की उम्मीदें धूमिल
सत्यानंद झा बाटुल और वीरेंद्र मंडल के निर्दलीय नामांकन से कुछ नेता इसे अवसर के रूप में देख रहे थे। लेकिन अब इन दिग्गज नेताओं की वापसी से विपक्षी दलों की रणनीति को झटका लगा है। भाजपा के लिए यह घर वापसी नाला सीट पर स्थिति को मजबूत करने का संकेत देती है और आने वाले चुनावी समीकरणों को भाजपा के पक्ष में झुका सकती है।
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