मुम्बई : महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा ने राज्य में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को आजाद मैदान में आयोजित करने का ऐलान किया है। यह घोषणा न केवल भाजपा की रणनीति को दर्शाती है, बल्कि इसे एकनाथ शिंदे के लिए भाजपा की ओर से एक स्पष्ट संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। इस निर्णय के साथ भाजपा ने एकनाथ शिंदे से यह उम्मीद जताई है कि वे जल्द ही फैसला लें कि क्या वे देवेंद्र फडणवीस की अगुआई वाली सरकार का हिस्सा बनेंगे या नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल होंगे शपथ ग्रहण समारोह में
महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने X (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए 5 दिसंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। बावनकुले ने लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा, “इस ऐतिहासिक शपथ ग्रहण का इंतजार खत्म हो गया है। हम जनता के समर्थन के लिए आभारी हैं।” इस घोषणा के बाद से राजनीतिक हलकों में यह चर्चा हो रही है कि भाजपा ने एकनाथ शिंदे को यह स्पष्ट संकेत दिया है कि उन्हें जल्द ही निर्णय लेना होगा कि वे महायुति सरकार का हिस्सा बनेंगे या नहीं।
शिंदे और बीजेपी के बीच बातचीत में ठहराव
यह घटनाक्रम उस वक्त आया है जब हाल ही में महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद से शिंदे और भाजपा नेताओं के बीच कोई स्पष्ट बातचीत नहीं हुई है। शिंदे दिल्ली से लौटने के बाद अपने पैतृक गांव सतारा चले गए थे और वह फिलहाल वहीं हैं। खबरों के मुताबिक, शिंदे अस्वस्थ चल रहे हैं, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि उन्होंने अब तक सरकार में अपनी भूमिका को लेकर कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया है।
शिंदे के लिए असहज स्थिति
दिल्ली और मुंबई के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि भाजपा द्वारा जारी वीडियो पोस्ट एकनाथ शिंदे को यह संदेश दे रहा है कि वे मुंबई लौटें और देवेंद्र फडणवीस सरकार का हिस्सा बनने के लिए सहमति दें। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ विचार-विमर्श के दौरान, शिंदे ने यह मुद्दा उठाया था कि उन्होंने महायुति सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया है। अब वे डिप्टी सीएम बनने के लिए सहज महसूस नहीं कर रहे हैं।
क्या समझाया था अमित शाह ने
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिंदे को समझाने की कोशिश की कि देवेंद्र फडणवीस ने भी मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था, लेकिन फिर भी वे पार्टी की जरूरतों के अनुसार डिप्टी सीएम बनने के लिए सहमत हो गए थे। यह निर्णय फडणवीस ने व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया था, बल्कि पार्टी ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया था। अमित शाह ने शिंदे से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया था, ताकि महायुति सरकार को मजबूती मिले।
भाजपा की मजबूती और गठबंधन की स्थिति
भाजपा का आत्मविश्वास विधानसभा में अपने पास मौजूद संख्या बल पर आधारित है। महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के पास खुद 132 विधायक हैं और उसे पांच निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इस तरह, 288 सदस्यीय विधानसभा में उसे बहुमत साबित करने के लिए केवल 8 अतिरिक्त विधायकों के समर्थन की जरूरत है। इसके अलावा, अजित पवार की एनसीपी के 41 विधायकों का समर्थन भी भाजपा को मिल सकता है, जिससे भाजपा का आंकड़ा 178 तक पहुंच सकता है।
अब इंतजार शिंदे के अगले कदम पर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या है, लेकिन शिंदे के लिए यह स्थिति असहज है क्योंकि उन्हें खुद को डिप्टी सीएम के रूप में स्वीकार करना आसान नहीं लग रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि शिंदे इस दबाव के बावजूद किस फैसले तक पहुंचते हैं और क्या वे भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल होते हैं या फिर किसी अन्य रास्ते पर चलते हैं।
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