पटना : बिहार में शराबबंदी को लेकर बहस फिर से तेज हो गई है। पहले प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की सरकार बनने पर शराबबंदी को खत्म करने का वादा किया था और अब बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने भी शराबबंदी कानून को हटाने की मांग की है। उन्होंने इस कानून को लेकर जो बयान दिया, उसने राज्य की राजनीतिक हलचलों में नया मोड़ ला दिया है।
आरके सिंह ने अपने बयान में कहा कि शराबबंदी की वजह से बिहार में युवा वर्ग पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। उनके अनुसार, शराबबंदी के बावजूद राज्य में नशे की समस्या जस की तस बनी हुई है और इसके कारण युवाओं की जिंदगी पर बुरा असर पड़ रहा है। उनका मानना है कि यह कानून बिहार के विकास के रास्ते में बाधक बन गया है और इससे राज्य के नौजवानों की उम्मीदें टूट रही हैं।
यह बयान भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड क्षेत्र के सरैयां स्थित भीखम दास के मठिया प्रांगण में आयोजित एक किसान संगठनों के कार्यक्रम में दिया गया था। आरके सिंह ने यहां जनता को संबोधित करते हुए शराबबंदी के प्रभावों पर खुलकर अपनी राय रखी। उनका कहना था, ‘शराबबंदी के बाद बिहार में हालात नहीं सुधरे, बल्कि और बिगड़े हैं। हमारी युवा पीढ़ी अब ड्रग्स और अफीम का सेवन करने लगी है। पहले शराब थी, अब नशे की नई किस्में आ गई हैं’।
शराबबंदी का सामाजिक प्रभाव
आरके सिंह का आरोप था कि शराबबंदी के बावजूद राज्य में अवैध शराब की तस्करी और बिक्री बड़े पैमाने पर हो रही है। उन्होंने कहा कि, ‘जो लोग शराब की बिक्री कर रहे हैं, वे सब अवैध रूप से काम कर रहे हैं और यह सारा कारोबार पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है’। उनका यह भी कहना था कि शराबबंदी के बाद न केवल शराब की बिक्री बढ़ी है, बल्कि अब युवा वर्ग दूसरे तरह के नशे की ओर भी आकर्षित हो रहा है, जो और भी खतरनाक है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि शराबबंदी के चलते राज्य में अपराध भी बढ़ा है। पुलिस प्रशासन और थाना प्रभारी भी शराब में लिप्त हैं और उन्हें कोई अन्य काम नजर नहीं आता। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर आरके सिंह का वीडियो तेजी से वायरल हो गया है, जिसमें वह इस मुद्दे की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
बीजेपी के नेताओं का बयान और राजनीति:
आरके सिंह का यह बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून को लेकर एक बड़ी चुनौती है। नीतीश कुमार ने 2016 में बिहार में शराबबंदी लागू की थी, जिसका उद्देश्य राज्य में शराब के कारण होने वाले सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करना था। हालांकि, आरके सिंह जैसे नेता मानते हैं कि इस कानून से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं और इसके कारण अन्य समस्याएं पैदा हो गई हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी के नेताओं ने शराबबंदी के खिलाफ बयान दिया हो। इससे पहले भी कई बार बीजेपी नेताओं ने नीतीश सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि शराबबंदी की आड़ में गरीबों और सामान्य लोगों को परेशान किया जा रहा है।