रांची : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने शुक्रवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) नीत गठबंधन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है, जिससे झारखंड में आदिवासी अधिकार और स्थानीय संस्कृति खतरे में हैं। भाटिया ने गठबंधन सरकार को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस (Congress) और झामुमो (JMM)दोनों ही बाहरी घुसपैठियों को राज्य में बसने की अनुमति दे रहे हैं, जबकि भाजपा इन घुसपैठियों को राज्य से बाहर निकालने के लिए संकल्पित है।
तुष्टिकरण की राजनीति और घुसपैठियों का समर्थन
गौरव भाटिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “झामुमो और कांग्रेस वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। ये पार्टी घुसपैठियों को न केवल राज्य में बसने की अनुमति दे रही हैं, बल्कि उन्हें झारखंड की जमीन और रोटी पर कब्जा करने का भी अवसर दे रही हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह से राज्य की माटी, बेटी और रोटी को खतरा पैदा हो गया है। भाटिया ने कहा, “भाजपा आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन कांग्रेस और झामुमो इन अधिकारों को घुसपैठियों को देने पर तुले हुए हैं।”
गुलाम अहमद मीर का बयान और भाजपा की प्रतिक्रिया
भाटिया ने विशेष रूप से कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर द्वारा हाल ही में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दी। मीर ने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो राज्य के सभी नागरिकों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर दिया जाएगा, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम या घुसपैठिए हों। इस पर भाटिया ने कहा कि यह बयान दिखाता है कि कांग्रेस और झामुमो घुसपैठियों को राज्य के अधिकार देने के लिए तैयार हैं, जबकि भाजपा झारखंड के लोगों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करेगी। भाटिया ने कहा, “यह दिलचस्प है कि कांग्रेस और झामुमो के किसी भी शीर्ष नेता ने मीर की टिप्पणी पर एक शब्द भी नहीं कहा। यह उनके इरादों को स्पष्ट करता है।”
भा.ज.पा. का दृष्टिकोण: झारखंड की सुरक्षा
भाटिया ने अंत में कहा, “भाजपा कभी भी झारखंड के आदिवासी समुदाय और स्थानीय नागरिकों के अधिकारों को घुसपैठियों को देने की अनुमति नहीं देगी। हम राज्य की सुरक्षा और उसकी संस्कृति की रक्षा के लिए कृतसंकल्प हैं।” भाजपा ने झारखंड के भविष्य को सुरक्षित रखने का वादा किया है और दावा किया है कि राज्य के सभी मुद्दों पर सही और स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, जिसमें आदिवासियों और स्थानीय लोगों के अधिकारों की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।