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बुद्ध पूर्णिमा आज, जानिए इस दिन के महत्व को

by Rakesh Pandey
 Buddha Purnima 2024
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नई दिल्ली : Buddha Purnima 2024:  वैशाख के महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। शास्‍त्रों में ये दिन बेहद शुभ माना गया है। इस दिन गंगा स्‍नान, दान, ध्‍यान वगैरह किया जाता है। तमाम लोग व्रत रखते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस त्‍योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। वहीं, हिंदुओं में इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा होती है, क्‍योंकि गौतम बुद्ध को विष्‍णु जी का अंशावतार माना गया है। आइए आपको बताते हैं, इस दिन का महत्‍व और भगवान बुद्ध से जुड़ी खास बातें।

 Buddha Purnima 2024: क्‍यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा के दिन सिर्फ भगवान बुद्ध का जन्‍म ही नहीं हुआ था, कहा जाता है कि उन्‍हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी इसी दिन हुई थी। इतना ही नहीं, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ। कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक माह तक मेला लगता है। इस दिन लोग भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं, दीपक जलाते हैं और उनकी शिक्षाओं को सुनकर उनको जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं।

बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बुद्ध पूर्णिमा बहुत बड़ा त्‍योहार है। ये पर्व सिर्फ भारत में ही नहीं मनाया जाता, बल्कि चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में बुद्ध जयंती के तौर पर मनाया जाता है। बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दीये जलाते हैं और फूलों से घर सजाते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है। गौतम बुद्ध के प्रसिद्ध तीर्थस्‍थलों जैसे बोधगया, कुशीनगर, लुम्बिनी और सारनाथ में इस दिन विशेष पूजा होती है।

 Buddha Purnima 2024: स्नान-दान और चंद्रमा को अर्घ्य का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का बहुत महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन जल से भरे कलश और पकवान का दान करना चाहिए। इससे सौ गायों के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य भी दिया जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान के बाद संध्या के समय चंद्र देव को अर्घ्य देते हैं। इससे मानसिक संताप में कमी आती है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

 Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा की पूजन विधि

बुद्ध पूर्णिमा के दिन की शुरुआत घर की साफ-सफाई से होती है। इस दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है। गंगा स्नान नहीं कर पाने वाले लोग नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करते हैं। पूरे घर में गंगा जल का छिड़काव किया जाता है। घरों को फूलों से सजाया जाता है और दीये जलाए जाते हैं। घर के प्रवेशद्वार पर रंगोली और तोरण से सजावट की जाती है। इस दिन बोधि वृक्ष को जल देने की भी परंपरा है। गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन और वस्त्र का दान किया जाता है।

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