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सुप्रीम काेर्ट से बाबा रामदेव काे झटका, कहा भ्रामक विज्ञापन बंद करें पतंजलि आयुर्वेद

by Rakesh Pandey
सुप्रीम काेर्ट से बाबा रामदेव काे झटका
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नई दिल्ली: बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेदन काे सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। देश की सर्वाेच्च अदालत ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन पब्लिश करने को लेकर काे लेकर कंपनी काे फटकार लगाते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद को सभी झूठे और भ्रामक दावों वाले अपने विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा।

सुप्रीम काेर्ट से बाबा रामदेव काे झटका

कोर्ट कहा कि ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है। विदित हाे कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी। विदित हाे कि बाबा राम देव अक्सर एलाेपैथ काे चुनाैती देते नजर आते हैं।

हम इस मामले काे एलोपैथ बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहते: काेर्ट

सुनवाई के दाैरान कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद काे निर्देश दिया कि वह भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को’एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।

5 फरवरी 2024 को होगी अगली सुनवाई
बेंच ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि केंद्र सरकार को समस्या से निपटने के लिए एक उचित समाधान ढूंढना होगा। इसके लिए समय की जरूरत हाेगी। इसके बाद कोर्ट ने सरकार से कंसल्टेशन के बाद कोर्ट में आने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 फरवरी 2024 को होगी।

आईएमए का यह है आराेप:

वहीं इस मामले पर आईएमए ने कहा कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेडेमीड एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। दरअसल पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज हो सकता है। साथ ही कंपनी ने एलोपैथी दवाइयों और इलाज पर भी सवाल खड़े किए थे।

कोर्ट ने पिछले साल भी लगाई थी फटकार:

मालूम हाे कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर पिछले वर्ष भी नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ बयान देने पर बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी। तब भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। हम सभी उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।’

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