नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने एक बार फिर पार्टी में वापसी की इच्छा जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक पोस्ट के माध्यम से अपनी बुआ मायावती से सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है और कहा है कि वे भविष्य में कोई गलती नहीं करेंगे।
आकाश आनंद ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘मैं आदरणीय बहनजी को अपना एकमात्र राजनीतिक गुरु और आदर्श मानता हूं। मैं यह प्रण लेता हूं कि बहुजन समाज पार्टी के हित में आगे से किसी भी रिश्तेदार, नातेदार या ससुराल पक्ष के प्रभाव को पार्टी कार्य में बाधा नहीं बनने दूंगा।’
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पहले जो ट्वीट किए थे, जिनके कारण उन्हें पार्टी से बाहर किया गया, उसके लिए वे माफी मांगते हैं। आकाश ने स्वीकार किया कि उनके उन बयानों से बहनजी और पार्टी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची और इसीलिए उन्हें निष्कासित किया गया था।
निजी संबंधों को पार्टी से अलग रखने का संकल्प
अपनी पोस्ट में आकाश आनंद ने स्पष्ट रूप से लिखा कि अब वे अपने किसी भी राजनीतिक निर्णय के लिए न रिश्तेदारों से सलाह लेंगे, न ही ससुराल पक्ष को किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने देंगे। उन्होंने कहा कि वे केवल बहनजी के दिशा-निर्देशों पर ही चलेंगे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करते हुए उनके अनुभवों से सीखने का प्रयास करेंगे।
बुआ से की पार्टी में शामिल करने की अपील
आकाश आनंद ने अंत में मायावती से भावुक अपील करते हुए कहा, ‘मैं बहनजी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि मेरी अब तक की गई सभी गलतियों को माफ कर दिया जाए और मुझे एक बार फिर पार्टी में काम करने का अवसर दिया जाए। मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा और भविष्य में ऐसी कोई गलती नहीं करूंगा जिससे पार्टी या बहनजी के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचे।’
पार्टी से निष्कासन की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि पिछले महीने बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके पीछे मुख्य वजह उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ का पार्टी पर कथित रूप से बढ़ता प्रभाव बताया गया था। मायावती ने स्वयं इस निर्णय की पुष्टि करते हुए एक्स पर लिखा था कि पार्टी और मूवमेंट के हित में यह कदम उठाना आवश्यक हो गया था।
अब जब आकाश आनंद ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए दोबारा पार्टी में वापसी की इच्छा जताई है, तो राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या मायावती उन्हें एक और मौका देंगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि बसपा प्रमुख मायावती अपने भतीजे की इस भावनात्मक अपील को स्वीकार करती हैं या पार्टी की अनुशासन की नीति को बरकरार रखते हुए इस पर कोई सख्त रुख अपनाती हैं।