स्टेट डेस्क, पटना : विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए I.N.D.I.A गठबंधन की छतरी के नीचे आपसी एकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसका पहला प्रयोग बिहार में होने जा रहा है। दरअसल, बिहार में मंत्रिमंडल की सुगबुगाहट फिर तेज हो गयी है।
दावा किया जा रहा है कि बहुत जल्दी सरकार कैबिनेट में कुछ नये मंत्रियों को शामिल करने जा रही है। संभव है कि एक सप्ताह के भीतर बिहार मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाए। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बिहार में फिलहाल विपक्षी एकता के नाम पर प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल चल रहा है।
सरकार में शामिल अलग-अलग दल अपने-अपने विधायकों के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें मंत्रिमंडल में सुरक्षित करने के प्रयास में हैं। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच की मुलाकात को मंत्रिमंडल विस्तार से पहले की चर्चा के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि रविवा को कैबिनेट विस्तार पर मुहर लग सकती है।
क्या है बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार का फॉर्मूला
बिहार मंत्रिमंडल में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अगर मिला दें तो अब तक कुल 32 लोग मंत्री बनाए गए। चार पद खाली चल रहे थे।
पिछले दिनों राजद के दो मंत्री कार्तिकेय कुमार व सुधाकर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफे से खाली हुए पद पर जदयू ने अपने विधायक को पहले ही मौका दे दिया है।
ऐसे में फिलहाल चार सीटें राजद और कांग्रेस के बीच बराबर-बराबर बंट सकती हैं। दावा किया जा रहा है कि इसको लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने नीतीश कुमार से वार्ता की है। बिहार में विधायकों की कुल संख्या 243 है। इसमें मुख्यमंत्री को छोड़कर 35 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। वर्तमान में सीएम सहित कुल मंत्रियों की संख्या 30 है।
कौन सा दल, किसे दे सकता है माैका
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बिहार में कांग्रेस कोटे से एक सवर्ण को मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं एक पिछड़े वर्ग के नेता को मौका मिल सकता है। हालांकि इस पर अभी मंथन ही चल रहा है। दिल्ली हाईकमान से किसके नाम पर सहमति बनेगी, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
हालांकि खुद को मंत्री बनाये जाने के लिए विधायकों ने लॉबिंग शुरू कर दी है। वहीं राजद दोनों सीटों पर सर्वण नेताओं को मौका दे सकती है। पार्टी सूत्र दावा कर रहे हैं कि पार्टी के दोनों मंत्रियों के इस्तीफे से खाली सीट पर राजपूत और भूमिहार समाज के विधायकों को मौका मिल सकता है।