नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) की निरीक्षण समिति के अध्यक्ष के तौर पर कमेटी में शामिल रहे रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय पलामू के वाइस चांसलर समरेंद्रनाथ साहा सहित 10 लोगों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों को ए++ ग्रेड दिलाने के लिए रिश्वत ली। गिरफ्तार लोगों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक प्रोफेसर और आंध्र प्रदेश स्थित कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ) के वाइस चांसलर समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
CBI की छापेमारी: देशभर में 20 ठिकानों पर कार्रवाई
CBI की टीम ने 20 विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। जिसमें पलामू, चेन्नई, बिलासपुर, गौतम बुद्ध नगर, दिल्ली, बंगलूरू, विजयवाड़ा और अन्य शहरों में कार्रवाई की गई। सीबीआई के अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान कुल 37 लाख रुपये नकद, छह लैपटॉप, एक आईफोन 16 प्रो मोबाइल और नैक ग्रेडिंग से संबंधित कई दस्तावेज़ बरामद किए। इस पूरे मामले में ये पाया गया कि उच्च शिक्षा संस्थानों को NAAC ग्रेडिंग के जरिए ही राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत फंडिंग प्रदान की जाती है। यह ग्रेडिंग पर आधारित है, लिहाजा ग्रेडिंग की प्रक्रियाको अवैध तरीके से प्रभावित किया गया था।
NAAC ग्रेडिंग: उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए है बेहद महत्वपूर्ण
नेशनल एक्रेडिटेशन एंड असेसमेंट काउंसिल (NAAC) द्वारा दी जाने वाली ग्रेडिंग उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से शिक्षा के स्तर और संस्थान के संसाधनों का मूल्यांकन किया जाता है। संस्थानों को इस ग्रेडिंग के आधार पर रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान ) से अनुदान मिलता है। ऐसे में यदि नैक ग्रेडिंग के माध्यम से किसी संस्थान को बिना उचित मूल्यांकन के ए++ ग्रेड मिल जाता है तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह पूरी शिक्षा व्यवस्था को भी प्रभावित करता है।
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गिरफ्तार किए गए प्रमुख आरोपी
इस मामले में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में समरेंद्रनाथ साहा (नैक निरीक्षण समिति के चेयरमैन और रामचंद्र चंद्रवंशी विश्वविद्यालय के वीसी), राजीव सिजारिया (जेएनयू प्रोफेसर), डी. गोपाल (भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के डीन), राजेश सिंह पवार (जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी के डीन), मानस कुमार मिश्रा (जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर), गायत्री देवराजा (दावणगेरे यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर) और बुलु महाराणा (संबलपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर) शामिल हैं।
रिश्वत की रकम और दस्तावेज बरामद
सीबीआई के मुताबिक, छापेमारी में 37 लाख रुपये नकद के साथ कई दस्तावेज़ और छह लैपटॉप, एक आईफोन 16 प्रो मोबाइल बरामद किए गए। ये सब यह संकेत करते हैं कि रिश्वत के लेन-देन और नैक ग्रेडिंग प्रक्रिया में भ्रष्टाचार संगठित तरीके से हुआ था।
NAAC ग्रेडिंग का महत्व और इसके दुरुपयोग के प्रभाव
नैक ग्रेडिंग का महत्व इस वजह से भी बढ़ जाता है क्योंकि यह शिक्षा संस्थानों को वित्तीय सहायता प्राप्त करने का एक प्रमुख माध्यम है। जब इस ग्रेडिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी होती है और रिश्वत के आधार पर किसी संस्थान को उच्च ग्रेड मिल जाता है, तो यह केवल उस संस्थान की छवि को ही नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि यह पूरे शिक्षा प्रणाली के समक्ष एक गंभीर चुनौती उत्पन्न करता है।
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