Home » CBSE का बड़ा फैसला, अब वर्ष में दो बार होंगी 10वीं बोर्ड परीक्षा

CBSE का बड़ा फैसला, अब वर्ष में दो बार होंगी 10वीं बोर्ड परीक्षा

छात्रों के लिए क्या होगा फायदा? सीबीएसई के अनुसार यह कदम छात्रों को अपनी परीक्षा तैयारी में लचीलापन देगा। जो छात्र पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके, वे दूसरे परीक्षा में हिस्सा लेकर अपने अंक सुधार सकते हैं

by Reeta Rai Sagar
CBSE 10th Board Exam held twice a year from 2026
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now
  • पहली बार फरवरी तो दूसरी बार मई में होगी परीक्षा

रांची : देश के सबसे बड़े शैक्षणिक बोर्ड सीबीएसई बोर्ड से पढ़ाई कर रहे छात्र छात्राओं और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। सीबीएसई ने 10वीं बोर्ड परीक्षा को वर्ष में दो बार आयोजित कराने के नियमों को मंजूरी दे दी है। अब 2026 से एक वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होंगी। सीबीएसई कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार होंगी। पहले चरण की परीक्षा फरवरी और दूसरे चरण की परीक्षा मई में होगी। पहले चरण के नतीजे अप्रैल में और दूसरे चरण के नतीजे जून में आएंगे।

इंटरनल असेसमेंट केवल एक बार किया जाएगा। कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा के पहले चरण में शामिल होना अनिवार्य होगा जबकि दूसरा चरण वैकल्पिक होगा। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि आंतरिक मूल्यांकन (इंटरनल असेसमेंट) केवल एक बार ही किया जाएगा, भले ही छात्र एक या दोनों चरणों की परीक्षाएं दें। सीबीएसई का उद्देश्य इस व्यवस्था से छात्रों को बेहतर अवसर देना है ताकि वो अपनी तैयारी के अनुसार बेहतरीन प्रदर्शन कर सकें और तनाव भी कम हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह निर्णय लिया गया है। सीबीएसई ने फैसला लिया है कि 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार होंगी ताकि बच्चों पर एक ही अवसर का बोझ न रहे और वे अपनी मेहनत का बेहतर फल पा सकें।

ये किए गए हैं प्रावधान :
एसआर डीएवी पब्लिक स्कूल पुंदाग के प्राचार्य डा. तापस घोष ने बताया कि पहली परीक्षा फरवरी में होगी और उसमें बैठना अनिवार्य होगा। वहीं दूसरी परीक्षा मई में ली जाएगी, जो वैकल्पिक होगी। यानी अगर छात्र पहले प्रयास में अपनी उम्मीद के मुताबिक अंक नहीं ला सके, तो दूसरे मौके में सुधार कर सकेंगे। शैक्षणिक वर्ष के दौरान आंतरिक मूल्यांकन सिर्फ एक बार किया जायेगा। साथ ही छात्र विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान और भाषाओं में से किसी तीन विषयों में अपने अंक बेहतर करने का विकल्प चुन सकेंगे। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों पर आधारित है, जिसका उद्देश्य छात्रों से बोर्ड परीक्षा का उच्च-दबाव यानी तनाव को हटाना है। अब यह आवश्यक नहीं होगा कि एक ही परीक्षा से उनके भविष्य की दिशा तय हो। जो स्कूल सर्दियों के सत्र में पढ़ाते हैं, उनके छात्रों को किसी भी चरण में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा ताकि समय और मौसम की बंदिशें बच्चों की राह न रोकें।

छात्रों, माता-पिता और शिक्षकों के लिए भी दिए गए हैं सुझाव
वर्ष भर पढ़ाई को गंभीरता से लें ताकि दोनों अवसरों में विकल्प खुला रहे। पहले प्रयास में ही सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करें। दूसरी परीक्षा बैकअप की तरह लें। मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें। बार-बार परीक्षा के बोझ से स्वयं को थकाएं नहीं। यह बदलाव 2026 से लागू होगा यानी मौजूदा कक्षा 8 के छात्र जब 10वीं में होंगे तब यह नियम लागू होगा। सीबीएसई इस निर्णय को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा और स्कूलों को पूर्व सूचना और दिशा-निर्देश देगा।

ये है नई व्यवस्था का उद्देश्य :
छात्रों पर बोर्ड परीक्षा का दबाव कम करना। दो अवसर देने से छात्र बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। सिर्फ उसी परीक्षा का परिणाम मान्य होगा जिसमें छात्र ने बेहतर अंक प्राप्त किए होंगे। छात्र वर्ष में दो बार परीक्षा दे सकेंगे। यदि पहली बार में छात्र अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं होता है तो वह अगली परीक्षा में फिर से शामिल हो सकता है। सबसे खास बात यह है कि यदि छात्र दोनों बार परीक्षा देता है, तो जिसमें बेहतर अंक आएंगे वही अंक प्रमाणपत्र में दर्ज होंगे। फिलहाल, यह व्यवस्था केवल कक्षा 10वीं के लिए लागू की जा रही है लेकिन सूत्रों के अनुसार 12वीं कक्षा में भी इसी तरह के बदलाव की संभावना पर मंथन चल रहा है।

पाठ्यक्रम में नहीं होगा कोई बदलाव :
दोनों परीक्षाओं का पाठ्यक्रम समान रहेगा ताकि छात्रों को अलग-अलग तैयारी न करनी पड़े। डा. तापस घोष ने बताया कि छात्रों को अतिरिक्त अवसर देने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि वे कम दबाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। यह प्रणाली उन्हें अपनी क्षमताओं को बेहतर तरीके से दर्शाने का अवसर देगी।

Related Articles