नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी लेते हुए यह स्वीकार किया है कि इस घटना में सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई थी। सरकार ने हमले की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और सुरक्षा एजेंसियों से रिपोर्ट तलब की गई है।
क्या हुआ था पहलगाम में?
22 अप्रैल को पहलगाम में एक पर्यटक बस पर आतंकियों ने हमला किया, जिसमें कई लोग घायल हुए। हालांकि किसी की जान नहीं गई, लेकिन यह घटना एक हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में हुई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए। हमले के बाद स्थानीय और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया और स्थिति को नियंत्रित किया।
गृह मंत्रालय का बयान
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘यह स्वीकार करना होगा कि सुरक्षा में चूक हुई है। हमले से पहले कुछ इंटेलिजेंस इनपुट थे, लेकिन उनका प्रभावी ढंग से पालन नहीं किया गया। सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की है, जो 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।’
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी दलों ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि जब घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर इतने दावे किए जा रहे हैं, तब इस तरह की घटनाएं सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़ा करती हैं। वहीं, सत्तारूढ़ पार्टी ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव की संभावना
सूत्रों के अनुसार, हमले के बाद पहलगाम और आस-पास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा रहा है। अतिरिक्त बलों की तैनाती के साथ ड्रोन और निगरानी उपकरणों का भी उपयोग किया जाएगा।
जनता में चिंता
स्थानीय लोगों और पर्यटकों में इस हमले के बाद चिंता का माहौल है। कई लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि पर्यटक स्थलों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, ताकि घाटी में पर्यटन पर इसका नकारात्मक असर न पड़े।