मणिपुर : राज्य में जारी हिंसा और तनाव की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार अब पूरी तरह से एक्शन मोड में आ चुकी है। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में गृह मंत्रालय में मणिपुर हिंसा पर आज एक अहम बैठक हो रही है, जिसमें राज्य में शांति बहाल करने के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा की जाएगी। वहीं, राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला है। इस फ्लैग मार्च के माध्यम से सुरक्षाबल स्थानीय लोगों में सुरक्षा का अहसास कराना चाहते हैं और शांति बहाली की दिशा में काम कर रहे हैं।
शांति बहाली के लिए फ्लैग मार्च
मणिपुर की राजधानी इंफाल समेत राज्य के कई हिस्सों में असम राइफल्स और भारतीय सेना के जवानों ने फ्लैग मार्च किया। यह मार्च खासकर उन क्षेत्रों में किया गया, जो हाल के दिनों में हिंसा का शिकार बने थे। फ्लैग मार्च में सुरक्षाबलों ने इंफाल के संजेनथोंग, खुरई लामलोंग ब्रिज, थोंगजू ब्रिज, कोइरेंगेई, कांगला वेस्टर्न गेट, केशमपट, चुंगथम, सलाम मयाई लीकाई, और कई अन्य इलाकों में मार्च निकाला। इसके अलावा, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और थौबल जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
राज्य में कर्फ्यू लागू है और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही में कमी आई है। सुरक्षाबलों की तैनाती लगातार बढ़ाई जा रही है। मुख्यमंत्री आवास तथा राजभवन के बाहर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। यह कदम उन स्थानों पर शांति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं, जहां हाल के दिनों में हिंसक घटनाएं देखने को मिलीं।
अमित शाह की अहम बैठक
आज गृह मंत्रालय में आयोजित होने वाली बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करेंगे। यह बैठक मुख्य रूप से उन कदमों के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए है, जो केंद्रीय बलों द्वारा शांति स्थापना के लिए उठाए गए थे। बैठक में गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय गृह सचिव, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के निदेशक, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अधिकारी भी शामिल होंगे। इस बैठक में मणिपुर के दो प्रमुख समुदाय—मैतेई और कुकी—के बीच वार्ता की दिशा पर भी चर्चा की जाएगी।
गृह मंत्री अमित शाह की यह बैठक लगातार दूसरे दिन हो रही है। इससे पहले, उन्होंने मणिपुर की स्थिति पर गहरी समीक्षा की थी और राज्य सरकार से शांति बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे। सरकार अब यह सुनिश्चित करना चाहती है कि क्या इन निर्देशों का सही तरीके से पालन हो रहा है और क्या हालात में कोई सुधार हुआ है।
एनपीपी का समर्थन वापस लेना
मणिपुर हिंसा पर बढ़ते तनाव के बीच राज्य की सत्ताधारी पार्टी के सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने बीरेन सिंह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। पार्टी का आरोप है कि राज्य सरकार मणिपुर की स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रही है। एनपीपी ने यह भी कहा है कि सरकार ने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए जो कदम उठाए हैं, वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। एनपीपी के इस कदम ने मणिपुर की राजनीति में और भी तनाव पैदा कर दिया है, और अब सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती बन गई है कि वह शांति बहाल करने के साथ-साथ अपनी राजनीतिक स्थिति भी मजबूत करे।
मणिपुर में इंटरनेट बैन और हिंसा की बढ़ती घटनाएं
मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं पर पहले ही पाबंदी लगा दी गई थी और रविवार को हिंसा की एक और घटना ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया। उग्र भीड़ ने इंफाल में बीजेपी विधायक कोंगखाम रोबिंद्रो के पैतृक घर में तोड़फोड़ की और एक दिन पहले भी कुछ मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हिंसा की थी। इसके अलावा, कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया था। मणिपुर के छह जिलों में इंटरनेट सेवा पहले से ही स्थगित कर दी गई है, ताकि अफवाहों को फैलने से रोका जा सके और शांति बनाए रखी जा सके।
मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से हिंसा और तनाव का माहौल बना हुआ है और सरकार अब पूरी तरह से शांति बहाल करने के लिए कृतसंकल्पित है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हो रही बैठक, फ्लैग मार्च, और सुरक्षा उपायों का उद्देश्य स्थिति को सामान्य करना है। हालांकि, मणिपुर के विभिन्न समुदायों के बीच बढ़ता तनाव और राज्य सरकार के सहयोगी दल का समर्थन वापस लेना, सरकार के लिए कई नई चुनौतियां प्रस्तुत कर रहा है। इस बीच, मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर काम करना होगा और सभी पक्षों के साथ संवाद का रास्ता खोलना होगा, ताकि हिंसा और अव्यवस्था की स्थिति को समाप्त किया जा सके।
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