चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम): चाईबसा के तांबो चौक क्षेत्र में बाईपास पर नो एंट्री की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस के अत्याचार का मामला गुरुवार को संसद में कार्यवाही के दौरा गूंजा। दरअसल, लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और स्थानीय आदिवासी–हो समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लोगों ने 27 अक्टूबर 2025 को नो-एंट्री लागू करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था।
74 नामजद और 500 अज्ञात पर है मुकदमा
आरोप है कि नो एंट्री की मांग को लेकर किए गए आंदोलन को प्रशासन ने कठोरता से दबाया और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। इस घटना में 74 नामजद और 500 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया, जबकि 17 निर्दोष जिसमें 10 पुरुष और 7 महिलाएं को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इससे पूरे जिले में भारी आक्रोश व्याप्त है।
स्थानीय विधायक की उदासीनता पर असंतोष
घटनाक्रम के दौरान स्थानीय विधायक एवं परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा की उदासीनता और जनता की समस्याओं से दूरी ने असंतोष को और गहरा किया। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा जब हो समाज के प्रतिनिधियों के साथ न्याय की मांग को लेकर उपायुक्त को ज्ञापन देने पहुंचे, तो कथित तौर पर अभद्र व्यवहार किए जाने की घटना ने आदिवासी समाज की भावनाओं को गंभीर रूप से आहत किया है।
भाजपा सांसद आदित्य साहू ने उठाया मामला
इन सभी घटनाओं को आज संसद में भाजपा सांसद आदित्य साहू ने प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि तांबो चौक की समस्या वर्षों से गंभीर है और सड़क सुरक्षा की मांग करने वाले लोगों पर लाठीचार्ज तथा बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज करना लोकतंत्र का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की उदासीनता ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।
निष्पक्ष, स्वतंत्र और उच्चस्तरीय जांच की मांग
आदित्य साहू ने पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष, स्वतंत्र और उच्चस्तरीय जांच की मांग की, ताकि निर्दोषों को न्याय मिल सके और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पश्चिमी सिंहभूम यह स्पष्ट करती है कि वह जनता की हर जायज़ मांग के साथ खड़ी है और यहां के आदिवासी–मूलवासी समुदाय के अधिकारों और सम्मान की लड़ाई के लिए संसद से लेकर सड़क तक सतत संघर्ष करती रहेगी।

