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Chaitra Navratri 2025 : मां शैलपुत्री की पूजा विधि और लाभ

by Rakesh Pandey
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फीचर डेस्क : चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ आज, 30 मार्च 2025 से हो रहा है, जो पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पर्व के पहले दिन, मां दुर्गा के पहले स्वरूप, मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा विशेष रूप से सुख, समृद्धि और शांति प्राप्ति के लिए की जाती है।

मां शैलपुत्री का महत्व

मां शैलपुत्री का नाम ‘शैल’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है हिमालय, और ‘पुत्री’ का अर्थ है बेटी। इस प्रकार, मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में पूजा जाता है। उनका जन्म हिमालय पर्वत पर हुआ था, जिसके कारण उनका यह नाम पड़ा। मां शैलपुत्री को देवी दुर्गा के पहले रूप के रूप में पूजा जाता है और इन्हें जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि देने वाली देवी माना जाता है।

पूजा विधि

मां शैलपुत्री की पूजा के दौरान कुछ खास विधियों का पालन किया जाता है, जिनसे मां की कृपा प्राप्त की जा सकती है:

प्रारंभिक तैयारी

प्रातःकाल उठकर पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

पूजा के स्थान पर एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।

वहां मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र रखें।

फिर, गंगाजल से स्थान को पवित्र करें और मानसिक रूप से मां को आमंत्रित करने का संकल्प लें।

कलश स्थापना

पूजा में कलश का बहुत महत्व होता है। एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें।

कलश पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और इसे पूजा स्थल पर रखें।

पूजन सामग्री : पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जैसे:

लाल पुष्प

चंदन

अक्षत (चावल)

धूप और दीपक

दूध, घी, शहद और गंगाजल

मां शैलपुत्री की आराधना

मां को सफेद फूल अर्पित करें और गाय के घी से बने प्रसाद का भोग अर्पित करें।

देवी महात्म्य या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

‘ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें।

दीप जलाकर मां की आरती करें और भोग अर्पित करें।

मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ

मां शैलपुत्री की पूजा से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं:

मन की शांति : मां शैलपुत्री की पूजा से मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है।

सुख और समृद्धि : पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है।

स्वास्थ्य लाभ : इस दिन मां की पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है और व्यक्ति को शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है।

गृहस्थ जीवन में स्थिरता : इस दिन की पूजा से गृहस्थ जीवन में सुख-शांति और स्थिरता बनी रहती है।

साधकों के लिए लाभकारी : यह दिन साधकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है, क्योंकि मां की पूजा से मन की चंचलता समाप्त होती है और ध्यान में स्थिरता आती है।

व्रत और पारण

व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को इस दिन केवल फलाहार का सेवन करना चाहिए और मां को सफेद रंग की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए। पूजा के बाद, अगले दिन व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें।

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