जमशेदपुर : चैत्र नवरात्र का पर्व 30 मार्च (रविवार) को प्रवर्धमान योग में कलश स्थापना के साथ आरंभ होगा। यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भागवत पुराण के अनुसार, इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। पंडित एके मिश्र ने बताया कि 29 मार्च को शाम 4:33 बजे से प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी, जो 30 मार्च की दोपहर 2:14 बजे तक रहेगी। उदयातिथि होने के कारण 30 मार्च को ही कलश स्थापना की जाएगी।
चैत्र नवरात्र के शुभ संयोग
चूंकि चैत्र नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है, इसलिए मां दुर्गा की सवारी हाथी होगी। भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
महत्वपूर्ण तिथियां व जानकारी
- 30 मार्च : कलश स्थापना
- 5 अप्रैल : महाअष्टमी व्रत
- 6 अप्रैल : महानवमी पर पाठ, कन्या पूजन, हवन और आरती के साथ पूजा संपन्न होगी।
- इस वर्ष नवरात्र 8 दिन का रहेगा, क्योंकि पंचमी तिथि गौण हो गई है।
छठ महापर्व 1 अप्रैल से
चैती छठ का शुभारंभ 1 अप्रैल से ‘नहाय-खाय’ के साथ होगा। 4 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व संपन्न होगा। यह महापर्व विशेष रूप से चैत्र नवरात्र के दौरान मनाया जाता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व बढ़ जाता है।
- 1 अप्रैल : नहाय-खाय
- 2 अप्रैल : खरना
- 3 अप्रैल : संध्या अर्घ्य
- 4 अप्रैल : प्रातः अर्घ्य
इस व्रत के दौरान श्रद्धालु व्रत धारण व पूजा-अर्चना कर व्रति भगवान भास्कर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इससे बल, आरोग्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह व्रत घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए भी अत्यंत प्रभावी माना गया है।
समाज में धार्मिक एकता का प्रतीक
चैत्र नवरात्र और छठ महापर्व दोनों ही पर्व न केवल धार्मिक श्रद्धा के प्रतीक हैं, बल्कि ये समाज में एकता और सांस्कृतिक समृद्धि को भी दर्शाते