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Chakradharpur Railway union election : चक्रधरपुर रेलवे चुनाव में मेंस यूनियन की जीत

by Rohit Kumar
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चक्रधरपुर : रेलवे यूनियन चुनाव में मेंस यूनियन ने चक्रधरपुर रेल मंडल में जीत हासिल की है। इस चुनाव में मेंस यूनियन ने अपने प्रतिद्वंदी मेंस कांग्रेस को 823 वोटों से हराया। जहां मेंस कांग्रेस को 5310 वोट मिले, वहीं मेंस यूनियन को 6113 वोट प्राप्त हुए। तीन राउंड की मतगणना के बाद यह परिणाम सामने आया। परिणाम घोषित होते ही मेंस यूनियन में खुशी की लहर दौड़ गई। कार्यकर्ताओं ने अबीर-गुलाल लगाकर और पटाखे फोड़कर अपनी खुशी का इजहार किया।

रेलकर्मियों के लिए जारी रहेगा संघर्ष : मेंस यूनियन

मेंस यूनियन के मंडल संयोजक एमके सिंह ने कहा कि यह जीत रेलकर्मियों के लिए उनके द्वारा किए गए मेहनत का परिणाम है। उन्होंने आगे कहा कि मेंस यूनियन हमेशा रेलकर्मियों के हित में काम करता रहेगा।

जातिवाद ने किया नुकसान : मेंस कांग्रेस

हार के बाद मेंस कांग्रेस के मंडल संयोजक शशि मिश्रा ने चुनाव परिणाम को स्वीकार करते हुए जातिवाद को हार का कारण बताया। उनका कहना था कि जातिवाद ने रेलवे यूनियन के चुनावों में नकारात्मक प्रभाव डाला है। इसके अलावा, स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन ने भी उनके वोट काटे। शशि मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया कि रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने अर्बन बैंक के चुनाव में मेंस कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन यूनियन चुनाव में उन्होंने उनके खिलाफ काम किया। हालांकि, शशि मिश्रा ने यह भी कहा कि हार के बावजूद, मेंस कांग्रेस रेलकर्मियों के हित में आगे भी काम करती रहेगी।

चुनाव में छह यूनियनों ने लिया हिस्सा

इस चुनाव में कुल छह यूनियनें मैदान में थीं। दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस यूनियन को 6133 वोट मिले, जबकि दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस को 5310 वोट मिले। इसके अलावा, दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ को 1996 वोट, दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस तृणमूल कांग्रेस को 122 वोट, दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर यूनियन को 1067 वोट और स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन को 2618 वोट मिले।

चुनाव प्रक्रिया पर उठे सवाल

चुनाव के दौरान रेलवे के पारदर्शी कार्य पर सवाल उठे हैं। मीडिया कवरेज पर रेलवे ने पाबंदी लगा दी थी और कोई भी जानकारी मीडिया से साझा नहीं की गयी। मतगणना के दौरान बीच-बीच में रुझान की घोषणा भी नहीं की गई। इस वजह से चुनाव लड़ रही यूनियनों में नाराजगी देखी गयी। कुछ यूनियनों ने इसे धांधली का मामला बताते हुए रेलवे अधिकारियों की भी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।

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