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मनमोहक लैंसडाउन

by The Photon News Desk
charming lansdowne
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मैं घुमंतू प्रकृति का हूं, मुझे हमेशा से ही नई और अनोखी चीजें आकर्षित करती हैं। निरंतर यात्रा और नए पड़ाव मुझमें नित नवीनता का भाव ले आते हैं। ऐसे ही एक एहसास को आप सबके सामने ले कर आया हूं। चलिए लेकर चलता हूं आपको लैंसडाउन की ओर…

श्रीनगर में रहते हुए मुझे जो पहाड़ी खाने का स्वाद मिला वह अब तक नहीं मिला था। इसलिए घूमने के साथ-साथ खानपान की गतिविधियां भी चलती रहीं। मेरा ज्यादातर जगहों पर जाना नहीं हो पाया पर मैंने आसपास की तमाम जगहों के बारे में जानकारी हासिल की और आगे सफर पर निकलने की सोच ही रहा था कि एक दोस्त का फोन आ गया। वह श्रीनगर से निकलने के बाद लैंसडाउन पहुंच गया था और कुछ समय बिताना चाहता था। हालाँकि उसका प्लान मसूरी से निकलकर दिल्ली जाने का था। सोचा इतनी दूर आ ही गया हूँ तो अपनी सबसे पसंदीदा जगह पर भी कुछ समय बिता लूं।

मैंने उससे कहा, हां सही सोचा तुमने, यह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। घुमक्कड़ी का असल रोमांच तो इसी में है कि अपनी पसंदीदा जगह पर रहकर कुछ समय व्यतीत किया जाए और उसके अनुभवों को दूसरों के साथ बांटा जाये। लेकिन इतनी दूर-दराज जगहों पर भला अकेले कौन जाता है? उसने कहा फिर तुम भी चल लो। मेरे कुछ दोस्त पहले से यहां घूम रहे हैं।

इसीलिए तो बिना किसी निश्चित प्लान के ही ठान लिया कि लैंसडाउन जाना ही है। मैंने कहा यह अच्छा है, दोस्तों के साथ इस तरह की पुरानी जगहों पर घूमने का अपना एक अलग ही मज़ा है।


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यह जगह काफ़ी शांत हैं और मनमोहक भी। दरअसल, पर्यटन स्थलों पर लोगों की बढ़ती संख्या और भीड़भाड़ ने कहीं ना कहीं घुमक्कड़ी के मजे को प्रभावित किया है जिसकी वज़ह से लोग प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर जाने से कतराने लगे हैं। अब तो हर किसी को ऐसी जगह की तलाश रहती है जहां शांति और सकून हो और अपना समय बिना शहरों के शोर शराबे के अच्छे से व्यतीत कर सकें। लैंसडाउन पहुंचकर आपको शांति और सकून का अहसास होता है। इस जगह पर आप अपनी छुट्टियां अपने तरीके से देवदार के वृक्षों की छांव में बिता सकते हैं। छोटे-छोटे टपरियों पर चाय की चुस्की का मज़ा लेते हुए स्थानीय लोगों के साथ वार्तालाप कर सकते हैं।

रास्ते और आसपास का दृश्य इतना खूबसूरत और स्वच्छ होता है कि इस जगह पर सुबह-सुबह या फिर शाम के वक़्त टहलना काफी अच्छा लगता है। इस जगह की जैव विविधता प्रभावित करती है, मौसम की रुमानियत भीतर कहीं उतरती जान पड़ती है। लैंसडाउन में टहलते हुए आपको जगह-जगह पर पुराने बंगलों का दीदार होता है। इस जगह पर पहुंचकर आपको असली हिलस्टेशन वाली फील आती है। ना तो कोई जीवन की भागदौड़ और ना ही गाड़ियों का शोर, शांति और ग्रामीण वातावरण वाला आनंद आता है।

मैं इस जगह पर पहली बार 2016 में गया था तब से लेकर अब तक कई बार जा चुका हूं। लैंसडाउन का इतिहास, यहां के पर्यटन स्थल, सब कुछ खास है। स्थानीय लोगों से बातचीत के जरिये आपको पता चलेगा कि लैंसडाउन का जो वर्तमान स्वरूप है वह पहले नहीं था।

इस जगह को कालूडांडा के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है काला जंगल। जहां जाने से भी लोगों को डर लगता था लेकिन प्राकृतिक खूबसूरती इतनी ज्यादा कि लोगों का ध्यान बरबस अपनी तरफ खींचती थी और इस खूबसूरती ने अंग्रेजों का ध्यान भी अपनी तरफ खींचा। देश के अधिकांश हिल स्टेशनों की तरह लैंसडाउन का महत्व तब बढ़ा, जब ब्रिटिश अधिकारियों का इस जगह पर आना जाना बढ़ा और इसे अंग्रेजों ने गढ़वाल राइफल्स के भर्ती केंद्र के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया।

इस जगह का नाम लैंसडाउन 1887 में मार्क्वेस ऑफ लैंसडाउन और भारत के वायसराय हैनरी चार्ल्स कीथ के नाम पर पड़ा था। वर्तमान में यह उत्तराखंड स्थित गढ़वाल जिले का एक खूबसूरत छावनी शहर है जो भारत के सबसे खूबसूरत हिल स्टेशनों में गिना जाता है। इस ऐतिहासिक शहर को बसाने का श्रेय भारत में औपनिवेशिक काल के दौरान अंग्रेजों को जाता है। ब्रिटिश सरकार ने उस दौरान यहां धार्मिक स्थल और कई भवनों का निर्माण करवाया था। वर्तमान में भी आप उस दौर की ब्रिटिश वास्तुकला को यहां की कुछ संरचनाओं के माध्यम से देख सकते हैं।

इस जगह पर घूमने टहलने की तमाम जगहें हैं जहां आप बेफिक्री से घूम सकते हैं। लैंसडाउन में घूमते हुए कभी भी अनजान शहर में होने का अहसास नहीं होगा। यहां की जगहें, यहां के लोग, यहां का खानपान आपको सब पसंद आएगा। इस जगह पर पहुंचकर घुमक्कड़ी के असल रोमांच का मज़ा ले सकेंगे।

सेंट मैरी चर्च बिलकुल टिफिन टॉप के नजदीक स्थित है। इस चर्च को देखने के लिए सैलानी दूर-दूर से आते हैं। यह अपनी खूबसूरत दीवारों और रंगीन ग्लास खिड़कियों के लिए सैलानियों के मध्य काफी ज्यादा विख्यात है। चीड़-देवदार के जंगलों से घिरा यह स्थल बहुत हद तक सैलानियों को आकर्षित करने का काम करता है। यह जगह आपको भी अच्छी लगेगी और आप यहां पहुंचकर सुख और शांति का अनुभव करेंगे।

शहर के मध्य भाग में वॉर म्यूजियम स्थित है। जिसे दरवान सिंह संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। इसमें सेना के गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट द्वारा लड़े गए विभिन्न युद्धों के यादगार संग्रहों को प्रदर्शित किया गया है। टिप एन टॉप और स्नो व्यू प्वाइंट पर आप बर्फ से ढकी पहाड़ियों के रोमांचक दृश्यों को देखने का मज़ा ले सकते हैं। इस जगह से चौखम्बा और त्रिशूल की बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं को आसानी से देख सकते हैं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त देखने लायक होता है। यह व्यू प्वाइंट यहां आने वाले सैलानियों के मध्य काफी लोकप्रिय है।

लैंसडाउन में भीम पकोड़ा स्थल की सैर करके भी आपको काफी मज़ा आएगा। इस जगह पर एक पत्थर रखा हुआ है और वह इतना मजबूत है कि उसे कोई भी नहीं हिला सकता। भीम पकोड़ा स्थल नाम के पीछे किवदंती है कि जब पांडव निर्वासन में थे तो भीम ने एक पत्थर लैंसडाउन के बाहर एक चट्टान पर रख दिया था। गढ़वाली मेस इस जगह पर सरकार के द्वारा संरक्षित एक प्रतिष्ठित ईमारत है। यह सदियों पुरानी ईमारत वास्तुकला का बेहद शानदार नमूना है। इस जगह पर देश दुनिया से लोग पहुंचते हैं।

इसके अलावा इस जगह पर भुल्ला ताल की भी सैर कर सकते हैं। यह एक छोटी-सी झील है जहां नौकायन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। नौकायान के अलावा आप प्रकृति के सुन्दर रूप को निहार सकते हैं। संतोषी माता मंदिर लैंसडाउन की ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस जगह से शाम को सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। मैंने यहां पर अपनी कई शामें बिताई हैं।

यह शहर मेरी स्मृतियों में बसा अब तक का सबसे ख़ूबसूरत शहर है। आप भी ज़रूर जाइए और इस जगह का लुत्फ़ उठाया।

संजय शेफर्ड

संजय शेफर्ड

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