- देशभर से जुड़ेंगे 42 साहित्यकार, आलोचक और वक्ता
- 18 और 19 अक्टूबर को आदित्यपुर के ऑटो क्लस्टर में होगा भव्य आयोजन
- कोल्हान प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले सभी उच्च शिक्षण संस्थान, सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संगठन आमंत्रित
- सुदूर ग्रामीण इलाके में रहने वाले युवाओं के मन में मतदान के प्रति जागरूक करने की एक अनोखी कोशिश
आदित्यपुर. आगामी विधानसभा चुनाव में शत प्रतिशत मतदान के लिए मतदाताओं की सहभागिता अति आवश्यक है। इसे बढ़ावा देने के लिए “द लैंड ऑफ़ छऊ” के नाम से देश दुनिया में चर्चित झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला में नई पहल हो रही है। आगामी 18 और 19 अक्टूबर 2024 को “CHHAAP” Inaugural Literature Festival Seraikella-Kharsawan और साहित्य कला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन किया जा रहा है। इस लिटरेचर फेस्टिवल में जिले की गौरवशाली परंपरा को कायम रखने के साथ युवा मतदाताओं को विशेष रूप से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें कला, संस्कृति और किताबों के जरिए समाज के सभी वर्गों को लोकतंत्र में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए जागरूक किया जाएगा। आयोजन की रूपरेखा तैयार करने में साहित्य कला फाउंडेशन की अहम भूमिका रही है। कार्यक्रम का आयोजन ऑटो क्लस्टर, आदित्यपुर के सभागार में किया जा रहा है।
यह है खास
इस आयोजन में 7 अलग-अलग भाषाओं के कुल 42 विषय विशेषज्ञ, साहित्यकार,आलोचक और वक्ता अपनी-अपनी भाषाओं में कला, साहित्य, संस्कृति के साथ मतदान बढ़ाने पर बात करेंगे। इस दो दिवसीय आयोजन में कुल 18 अलग-अलग विषयों पर बात होगी। इसमें ग्रामीण इलाकों में पुस्तकालय की आवश्यकता से लेकर लोकतंत्र को मजबूत करने में किताबों की भूमिका जैसे विषय शामिल हैं।
कार्यक्रम में वरिष्ठ स्तंभकार पुष्पेश पंत और हिंदी के चर्चित साहित्यकार उदय प्रकाश शामिल हो रहे हैं। साथ ही युवा साहित्यकार नीलोत्पल मृणाल और सत्या व्यास नई पीढ़ी को किताबों का महत्व समझाएंगे। इसके अलावा फिल्मी दुनिया में लिखी जा रही कहानियों पर भी बात होगी।
कार्यक्रम के दोनों दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भारतीय फ़िल्म जगत के मशहूर अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा “स्वामी विवेकानंद का पुनर्पाठ” के नाम से एकल नाटक प्रस्तुति करेंगे। इसके अलावा कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है।
आप भी बन सकते हैं आयोजन का हिस्सा…
यह आयोजन समाज के सभी वर्गों को एक साथ जागरूक मतदाता बनने और किताबों की तरफ लौटने की प्रेरणा देने के अभिनव प्रयास का एक हिस्सा है। इसमें सरायकेला खरसावां के साथ-साथ कोल्हान प्रमंडल के शिक्षा जगत, साहित्य जगत के साथ-साथ सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। कोई भी आम नागरिक इस आयोजन का हिस्सा बन सकता है।
मतदाता जागरूकता के लिए होंगे विविध कार्यक्रम
लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान अलग-अलग सत्र के अलावा मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए आयोजन परिसर के अंदर नाटक सहित और भी विविध कार्यक्रम होंगे। इसमें छात्र-छात्राएं भागीदारी करेंगी।
झारखंड का पहला बुकफेस्ट ‘छाप’
झारखंड में पहली बार साहित्य और कला के संगम का अद्भुत उत्सव ‘छाप’ के रूप में आयोजित किया जा रहा है। साहित्य कला फाउंडेशन द्वारा आयोजित यह बुकफेस्ट राज्य के युवाओं को साहित्य, कला और संस्कृति से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है। इस दो दिवसीय आयोजन का उद्देश्य न केवल युवाओं में साहित्य और कला के प्रति रुचि जगाना है, बल्कि उनके भीतर सामाजिक और मानवीय संवेदनाओं का विकास भी करना है।
‘छाप’ में झारखंड सहित देशभर के प्रतिष्ठित लेखक, साहित्यकार, और कलाकार शामिल होंगे, जो हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, बांग्ला, ओड़िया और संथाली भाषाओं में अपनी पुस्तकों और विचारों को प्रस्तुत करेंगे। इस उत्सव में 10 चर्चित पुस्तकों पर केंद्रित सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें लेखक और विद्वानों के बीच गहन चर्चा होगी। इसके अतिरिक्त, लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी, ग्रामीण शिक्षा, जनजातीय संस्कृति और स्त्रीवाद जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श होगा। कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता यह है कि महाविद्यालयों के साहित्य कला परिषदों के माध्यम से युवाओं को पहले से ही इन पुस्तकों से परिचित कराया जाएगा, ताकि वे उत्सव का पूर्ण अनुभव प्राप्त कर सकें।
गजल संध्या, कवि सम्मलेन और प्रस्तुती का आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत 18 अक्टूबर को सुबह 10 बजे होगी, जो शाम 6 बजे के बाद ग़ज़ल संध्या और कवी सम्मेलन के साथ समाप्त होगा। 19 अक्टूबर को सुबह साढ़े दस बजे तपन कुमार पटनायक द्वारा ‘नृत्य में लोकगीत का जश्न’ विषय पर प्रस्तुती के साथ की जाएगी तथा अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र द्वारा प्रस्तुत “स्वामी विवेकानंद का पुनर्पाठ” सोलो प्ले के साथ कार्यक्रम समाप्त की जाएगी। दोनों दिन साहित्य, कला, समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चाएं, पुस्तक विमोचन, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जो युवाओं को साहित्य और कला से जोड़ने का एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करेंगे।
इन 10 पुस्तकों पर होगी चर्चा
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छाप’ में झारखंड सहित देशभर के प्रतिष्ठित लेखक, साहित्यकार, और कलाकार शामिल होंगे, जो हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, बांग्ला, ओड़िया और संथाली जैसी भाषाओं में अपनी पुस्तकों और विचारों को प्रस्तुत करेंगे। इस उत्सव में 10 चर्चित पुस्तकों पर केंद्रित सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें लेखक और विद्वानों के बीच गहन चर्चा होगी। प्रस्तुत की जाने वाली किताबों में यतीश कुमार की “बोरसी भर आँच” (हिंदी), कंचन सिंह चौहान की “तुम्हारी लंगी” (हिंदी), अखिलेंद्र मिश्र की “अभिनय, अभिनेता और आध्यात्म” (हिंदी), रणेंद्र की “गूंगी रुलाई का कोरस” (हिंदी), मृत्युंजय कुमार सिंह की “गंगा रतन बिदेसी” (भोजपुरी), रविंद्र नारायण मिश्र की “हम आबी रहल छी” (मैथिली), जोबा मुर्मू की “नारी” (संथाली), प्रबल कुमार बोस की “अमार गल्पो अमार समयो” (बांग्ला) और डॉ बिनि षाड़ंगी की “असमर्थ पुरुष” (उड़िया) शामिल होंगी।

गेस्ट लिस्ट
झारखंड के पहले बुकफेस्ट “छाप” में साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित अतिथि शामिल होंगे। इनमें तपन कुमार पटनायक, प्रबल कुमार बासु, यतीश कुमार, अखिलेंद्र मिश्र, मृत्युंजय कुमार सिंह, महादेव टोप्पो, कंचन सिंह चौहान, रणेंद्र, हांसदा सोवेंद्र शेखर, डॉ संचिता भुई सेन, डॉ सुधीर सुमन, पार्वती तिर्की, सत्य व्यास, नवीन चौधरी, डॉ एमके पांडे, संजय कच्छप, डॉ क्षमा त्रिपाठी, चंद्रहास चौधरी, डॉ विजय शर्मा, अच्युत चेतन, पुष्पेश पंत, उदय प्रकाश, डेविड अंशेन, दुष्यंत, नीलोत्पल मृणाल, रविंद्र नारायण मिश्र, भादो माझी, डॉ बिनि षाड़ंगी, डॉ बालकृष्ण बेहरा, जोबा मुर्मू, अक्षय बहिबल, अशोक अविचल, डॉ अविनाश कुमार सिंह, डॉ नेहा तिवारी, प्रवीण परिमल, पंकज कुमार झा, शंभू शिखर, कुमार बृजेन्द्र, दुबे सिस्टर्स, चेतना पांडे और सनातन दीप जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इन अतिथियों की उपस्थिति इस साहित्यिक आयोजन को और भी समृद्ध और प्रेरणादायक बनाएगी।
‘छाप’ का यह आयोजन झारखंड के साहित्यिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को नया आयाम देगा, जो न केवल युवाओं को साहित्य और कला से जोड़ने का माध्यम बनेगा, बल्कि उनके भीतर रचनात्मकता, सोच और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को भी प्रज्वलित करेगा। यह उत्सव एक ऐसा मंच साबित होगा, जहां विचारों का आदान-प्रदान होगा, और साहित्य की नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़कर भविष्य की दिशा तय करेगी।
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