सेंट्रल डेस्क। कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक कार्यकर्ता द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ MUDA भूमि मामले में सीबीआई जांच की याचिका खारिज कर दी है। इसकी वजह लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही स्वतंत्र जांच है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि “सीबीआई जांच कोई जादू की छड़ी नहीं है” और न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की पीठ ने MUDA मामले में लोकायुक्त पुलिस की रिपोर्ट पर विचार करते हुए कहा कि जांच “पक्षपाती या लापरवाह नहीं लगती”।
हाईकोर्ट ने दायर याचिका पर अपना फैसला रखा सुरक्षित
हाईकोर्ट ने पहले 27 जनवरी को RTI कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसमें 2021 में सिद्धारमैया के परिवार को Mysuru Urban Development Authority (MUDA) द्वारा दी गई भूमि अनुदान की सीबीआई जांच की मांग की गई थी।
कार्यकर्ता का यह तर्क था कि चूंकि लोकायुक्त पुलिस राज्य सरकार के अधीन काम करती है, इसलिए वह इस मामले की प्रभावी जांच नहीं कर रही है। विशेष अदालत ने 25 सितंबर, 2024 को लोकायुक्त पुलिस द्वारा जांच का आदेश दिया था, जब कार्यकर्ता ने लोकायुक्त, सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से जांच की मांग की थी। हालांकि, जब लोकायुक्त पुलिस ने FIR दर्ज की थी और सीबीआई जांच की मांग की थी, तब कार्यकर्ता ने 28 सितंबर को हाईकोर्ट का रुख किया।
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने लोकायुक्त पुलिस की जांच रिपोर्ट को गोपनीय रूप से प्राप्त करने के बाद सीबीआई जांच की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा। हाईकोर्ट ने trial court को लोकायुक्त पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए समय भी बढ़ा दिया था।
वकील जो सिद्धारमैया की ओर से पेश हुए, उन्होंने अदालत में यह कहा कि रिपोर्ट पर फैसला लेना trial court का अधिकार है, न कि हाईकोर्ट का। इसके पीछे उनका तर्क था कि हाईकोर्ट पीठ लोकायुक्त पुलिस की रिपोर्ट को देखकर सीबीआई जांच की मांग पर स्वेच्छा से निर्णय नहीं ले सकती, क्योंकि यह मामला विशेष अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिसने लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश दिया था।
क्या है MUDA मामला
MUDA मामला 14 साइटों से संबंधित है, जिनकी कीमत 56 करोड़ रुपये है। 2021 में MUDA द्वारा सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को गलत तरीके से 3.16 एकड़ भूमि की अधिग्रहण के बदले मुआवजे के रूप में आवंटित किया गया था, जो उनके भाई द्वारा 2010 में उन्हें उपहार में दी गई थी।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सार्वजनिक रूप से यह कहा है कि 14 हाउसिंग साइटों के आवंटन में उनके द्वारा कोई गड़बड़ी या भ्रष्टाचार नहीं किया गया है। उनकी पत्नी ने इस बीच ये साइटें MUDA को वापस लौटा दी हैं।