रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सरना धर्म कोड की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आगामी 26 मई को राजभवन के समक्ष प्रदर्शन का ऐलान किया। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी के. राजू ने कहा कि आदिवासी समुदाय लंबे समय से सरना धर्म कोड की मांग कर रहा है, लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि आगामी जनगणना में सरना कोड का कॉलम अवश्य जोड़ा जाना चाहिए। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती, कांग्रेस इसका संघर्ष जारी रखेगी।
2020 में सरकार ने भेजा था प्रस्ताव
प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने बताया कि 11 नवंबर 2020 को महागठबंधन सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था, परंतु केंद्र ने कोई संज्ञान नहीं लिया। उन्होंने बताया कि इस बार जनगणना के कॉलम को घटाकर छह कर दिया गया है, जबकि पहले सात कॉलम होते थे।
कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि 2011 की जनगणना में झारखंड, ओडिशा समेत कई राज्यों के 50 लाख लोगों ने खुद को सरना धर्म मानने वाला बताया था। उन्होंने कहा कि नाम चाहे कुछ भी हो, आदिवासी समुदाय के लिए अलग धर्म कोड जरूरी है।
सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई
विधायक दल के उपनेता राजेश कच्छप ने कहा कि सरना कोड की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ी गई है और अब यह राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। वहीं पूर्व वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि देश में 10 से 12 करोड़ आदिवासी हैं जो अपने अस्तित्व की पहचान के लिए संघर्षरत हैं। कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने आरोप लगाया कि 2019 में अमित शाह ने सरना कोड देने का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद वादा भुला दिया गया।