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ICC Champions Trophy 2025: पाकिस्तान के लिए संकट, ‘हाइब्रिड मॉडल’ न अपनाने पर भारी नुकसान

'हाइब्रिड मॉडल' के तहत, भारत और पाकिस्तान के मैच पाकिस्तान में ही खेले जाते, जबकि सेमीफाइनल और फाइनल जैसे महत्वपूर्ण मुकाबले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित किए जाते। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी पाकिस्तान को मिली थी, लेकिन अब इस टूर्नामेंट के आयोजन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। भारत सरकार की ओर से अपनी क्रिकेट टीम को पाकिस्तान भेजने की मंजूरी न मिलने से इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के शेड्यूल और वेन्यू पर सस्पेंस बन गया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) को इस फैसले के बारे में सूचित कर चुका है, जिसके बाद आईसीसी ने इस संकट का समाधान ‘हाइब्रिड मॉडल’ के रूप में पेश किया है।

पाकिस्तान ने ‘हाइब्रिड मॉडल’ को किया खारिज


आईसीसी ने 29 नवंबर को अपनी कार्यकारी बोर्ड की इमरजेंसी बैठक बुलाई, जिसमें पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) और अन्य संबंधित पक्षों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा की गई। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख मोहसिन नकवी ने व्यक्तिगत रूप से इस बैठक में हिस्सा लिया और पाकिस्तानी पक्ष का बचाव किया। हालांकि, आईसीसी ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान से ‘हाइब्रिड मॉडल’ को स्वीकार करने का अनुरोध किया, जो कि एक तरह से दोनों देशों के बीच सहमति बनाने का प्रयास था।

‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत, भारत और पाकिस्तान के मैच पाकिस्तान में ही खेले जाते, जबकि सेमीफाइनल और फाइनल जैसे महत्वपूर्ण मुकाबले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित किए जाते। यह मॉडल पाकिस्तान की मेज़बानी की स्थिति को बनाए रखता, जबकि भारत को पाकिस्तान जाने से बचने का रास्ता भी देता। लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके बाद आईसीसी ने PCB को अल्टीमेटम दे दिया।

पाकिस्तान को हो सकता है भारी आर्थिक नुकसान

यदि पाकिस्तान इस ‘हाइब्रिड मॉडल’ को नहीं स्वीकार करता है और टूर्नामेंट को स्थगित या रद्द किया जाता है, तो पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को मेज़बानी शुल्क के रूप में 60 लाख डॉलर (लगभग 50.73 करोड़ रुपये) मिल रहे थे, जो अब रुक सकते हैं। इसके अलावा, टूर्नामेंट के रद्द होने से PCB के वार्षिक राजस्व में भी बड़ी कमी आ सकती है, जो वर्तमान में लगभग 350 लाख डॉलर (296 करोड़ रुपये) है।

इसका असर सिर्फ पाकिस्तान पर ही नहीं, बल्कि आईसीसी और उसकी ब्रॉडकास्टिंग पार्टनर कंपनियों पर भी पड़ सकता है। यदि टूर्नामेंट को रद्द किया जाता है, तो ब्रॉडकास्टर्स, जो आईसीसी के साथ अरबों डॉलर के करार पर काम कर रहे हैं, भी अपनी शर्तों पर पुनः बातचीत करने को मजबूर हो सकते हैं।

भारतीय टीम के पाकिस्तान न जाने की सरकार ने की पुष्टि

भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा कारणों के चलते भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान यात्रा नहीं करेगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बात की पुष्टि की और बताया कि बीसीसीआई ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण भारतीय टीम के पाकिस्तान जाने की संभावना से इनकार किया है। भारतीय टीम ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद से पाकिस्तान में कोई भी क्रिकेट मैच नहीं खेला है और इस बार भी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं।

क्या होगा अगला कदम?

चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन 19 फरवरी से 9 मार्च तक होने की संभावना है, और अब देखना होगा कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस मुश्किल परिस्थिति में कैसे कदम उठाता है। यदि पाकिस्तान ‘हाइब्रिड मॉडल’ को स्वीकार करता है, तो उसे अपने देश में बाकी मुकाबलों की मेज़बानी करनी होगी, लेकिन अगर इसे ठुकराया गया, तो आईसीसी को इस महत्वपूर्ण टूर्नामेंट के आयोजन के लिए नया वेन्यू ढूंढना पड़ सकता है।

आईसीसी और पाकिस्तान के बीच यह गतिरोध टूर्नामेंट के भविष्य के लिए खतरे की घंटी बन सकता है। अगर समय रहते कोई सहमति नहीं बन पाई, तो पाकिस्तान को न केवल टूर्नामेंट से बाहर होने का जोखिम उठाना पड़ेगा, बल्कि उसे भारी वित्तीय नुकसान भी होगा। इस स्थिति से बचने के लिए, पाकिस्तान को जल्द से जल्द ‘हाइब्रिड मॉडल’ को स्वीकार करने के बारे में गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन सुचारू रूप से हो सके।

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