रांची: झारखंड में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। हाल ही में गुमला की एक आदिवासी किशोरी के साथ राजधानी रांची में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज ने झारखंड सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाएं भय और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर हैं। सरकार की योजनाएं जैसे मंइयां सम्मान योजना केवल कागजों तक सीमित हैं और जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड राज्य महिला आयोग पिछले चार वर्षों से निष्क्रिय है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार महिलाओं की समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। महिला आयोग में फिलहाल 3,000 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
एनसीआरबी की रिपोर्ट चौंकाने वाली
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2022 के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि झारखंड महिलाओं के खिलाफ अपराधों में देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है। अकेले झारखंड में 2022 में 7,678 मामले दर्ज हुए, जिनमें से अधिकतर मामलों में जांच अब तक पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि दहेज उत्पीड़न, यौन हिंसा, बालिका तस्करी और घरेलू हिंसा के मामलों में झारखंड की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
एफआईआर के बावजूद कार्रवाई नहीं
राफिया ने आरोप लगाया कि कई मामलों में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती। गुमला गैंगरेप केस में भी दो आरोपी अब तक फरार हैं। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कानून की नहीं बल्कि मानवता की भी हार है। उन्होंने सरकार से मांग की कि राज्य महिला आयोग का तुरंत गठन किया जाए, फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए पीड़िताओं को शीघ्र न्याय मिले और हर जिले में महिला हेल्पलाइन और पुलिस चौकियां स्थापित की जाएं। उन्होंने कहा, यदि सरकार महिला सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती, तो उसे सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।