जमशेदपुर : सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (CSIR-NML), जमशेदपुर में आज से ‘रेलवे घटकों की धातुकर्म विफलता जांच’ (MIRC-25) पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में रेलवे डिजाइन एवं मानक संगठन (RDSO) के लगभग 10 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। यह कार्यशाला रेलवे घटकों के धातुकर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी, जिसमें घटक विफलता की जांच के प्रोटोकॉल, विभिन्न सामग्रियों के भौतिक धातुकर्म, और परीक्षण प्रक्रियाओं को समझाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी, सामग्री अभियांत्रिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. एस. शिवाप्रसाद और धातु निष्कर्षण एवं पुनर्चक्रण प्रभाग के प्रमुख डॉ. संजय कुमार ने की। उद्घाटन सत्र में डॉ. घोष चौधरी ने घटक अखंडता मूल्यांकन और विफलता जांच में सीएसआईआर-एनएमएल की 1953 से चली आ रही दीर्घकालिक विरासत की चर्चा की। उन्होंने रेलवे घटक विनिर्माण विधियों में सुधार के लिए सीएसआईआर-एनएमएल के योगदान और मानकीकरण के प्रयासों पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही, उन्होंने हाल ही में सीएसआईआर-एनएमएल और आरडीएसओ के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MOU) का भी उल्लेख किया। इस समझौते के तहत, दोनों संस्थाएं अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगी, जिसमें संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम, प्रशिक्षण, और तकनीकी विचार-विमर्श शामिल हैं।
सीएसआईआर-एनएमएल की ओर से बताया गया है कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को रेलवे घटकों की धातुकर्म विफलताओं के विश्लेषण और जांच की गहन जानकारी देना है। इसमें विभिन्न रेलवे घटकों में प्रयुक्त सामग्रियों के भौतिक गुण, घटक योग्यता के मानक, क्षति तंत्र, सूक्ष्म तकनीकों और परीक्षण प्रक्रियाओं पर चर्चा की जाएगी। यह कार्यक्रम विशेष रूप से रेलवे घटकों की विफलताओं के मूल कारणों की पहचान करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करेगा।
उद्घाटन के पश्चात् एक संक्षिप्त परिचय सत्र हुआ। MIRC-25 के समन्वयक डॉ. अवनीश चंदन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से रेलवे घटकों की धातुकर्म विफलता जांच के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझने का अवसर मिलेगा, जो भविष्य में रेलवे घटकों की गुणवत्ता और अखंडता सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगा।
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