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Varanasi Cyber Crime : मुकेश अंबानी के नाम पर Cyber Fraud : बनारस में व्यापारी से 4.49 लाख रुपये ठगे गए

by Rakesh Pandey
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वाराणसी : साइबर अपराधियों ने एक और नए तरीके से एक व्यापारी को ठग लिया, इस बार मुकेश अंबानी के नाम का इस्तेमाल कर झांसा दिया गया। वाराणसी के लालपुर इलाके में एक व्यापारी से 4.49 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें आरोपियों ने उद्योगपति मुकेश अंबानी बनकर व्यापारी को अस्पताल के संचालन का पार्टनर बनाने का झांसा दिया।

फेसबुक मैसेंजर को बनाया हथियार

यह घटना मंगलवार को सामने आई, जब पीड़ित व्यापारी सर्वेश कुमार चौबे को फेसबुक मैसेंजर के जरिए एक बधाई संदेश मिला, जिसमें कहा गया कि वह ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में 4.70 करोड़ रुपये जीतने वाले हैं। इसके बाद एक महिला ने अपने आप को सीबीआई अधिकारी बताते हुए उसे फोन किया और कहा कि सरकार ने उसे मुकेश अंबानी के ऑफिस में एक विशेष कार्य के लिए तैनात किया है।

महिला ने सर्वेश से यह भी कहा कि मुकेश अंबानी पूर्वांचल में 500 करोड़ रुपये का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल खोलने जा रहे हैं और वह इस प्रोजेक्ट में पार्टनर बनने का मौका दे रही हैं। मुकेश अंबानी से फोन पर बात करने का प्रस्ताव भी दिया गया, जिससे सर्वेश को यह बात सही लगी और उसने बातचीत जारी रखी।

धोखाधड़ी का खेल : ओटीपी से पैसे कटते गए

सर्वेश ने बताया कि महिला ने उसे बार-बार ओटीपी भेजने को कहा, और हर बार जब वह ओटीपी देता, उसके बैंक खाते से पैसे कटने लगते। इस प्रक्रिया के दौरान, सर्वेश का ध्यान तब गया, जब उसने देखा कि उसके खाते से पैसे बिना किसी जानकारी के निकाले जा रहे थे। जब तक वह समझ पाता, तब तक उसके खाते से 4.49 लाख रुपये गायब हो चुके थे।

पुलिस के अनुसार, महिला ने यह भी कहा कि उसे सरकार के आदेश से मुकेश अंबानी के प्रोजेक्ट के लिए धन जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही, उसने सर्वेश से कहा कि वह अपना खाता 7 लाख रुपये तक बढ़ाए, ताकि वह इस योजना में भाग ले सके। यदि सर्वेश फोन कॉल का जवाब नहीं देता, तो महिला ने उसे धमकी दी कि वह सीबीआई अधिकारी है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है।

और भी बड़े नामों का इस्तेमाल

साइबर अपराधी ने केवल मुकेश अंबानी का नाम नहीं लिया, बल्कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और गवर्नर तक के नाम का जिक्र किया, ताकि सर्वेश और अधिक प्रभावित हो सके। जब सर्वेश ने लगातार कॉल करने की कोशिश की, तो आरोपी ने कहा कि वह बहुत व्यस्त व्यक्ति है और उसे बार-बार फोन न किया जाए। अंत में, धोखेबाज ने पैसे को एक आतंकवादी संगठन के खाते में ट्रांसफर करने की बात करते हुए फोन काट दिया और धमकी दी कि अगर फोन किया तो वह मुसीबत में पड़ सकता है।

पुलिस ने शुरू की जांच

पीड़ित ने लालपुर थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह मामला साइबर ठगी का है और इसकी गंभीरता को देखते हुए साइबर सेल को सूचित किया गया है। लालपुर थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की तहकीकात की जा रही है और ठगों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।

साइबर ठगी से बचने के उपाय

इस मामले ने एक बार फिर साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं को उजागर किया है। ठग अब लोगों को बड़े नामों का हवाला देकर उनका विश्वास जीतने में कामयाब हो जाते हैं। पुलिस और विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल या मैसेज से सावधान रहना चाहिए। कभी भी ओटीपी या बैंक से संबंधित जानकारी साझा न करें।

साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बीच यह घटना एक चेतावनी के तौर पर सामने आई है। लोग जितना हो सके अपनी व्यक्तिगत जानकारी और बैंक डिटेल्स को सुरक्षित रखने की कोशिश करें। पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने लोगों से आग्रह किया है कि वे इस तरह के धोखाधड़ी के मामलों में सतर्क रहें और अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें।

देश में साइबर क्राइम के मामले 14 लाख के पार, इस साल हुए 19,888 करोड़ रुपये का नुकसान

देश में इस साल साइबर अपराध की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद, साइबर ठगी के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 1 जनवरी से 11 नवंबर तक देशभर में 14,41,717 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। इन अपराधों में विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी, घोटाले और साइबर हमले शामिल हैं।

साइबर ठगी के विभिन्न रूप

साइबर अपराधियों ने इस साल विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। इनमें निवेश घोटाले, नौकरी से संबंधित ठगी, तत्काल ऋण घोटाले, डेटिंग घोटाले, फर्जी गेमिंग ऐप्स के जरिए ठगी, सेक्सटॉर्शन, और डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान निवेश घोटाले और नौकरी से जुड़े घोटालों से हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, इस साल की पहली तिमाही में डिजिटल अरेस्ट के कारण 120.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

भारी वित्तीय नुकसान

इस साल साइबर अपराधों ने देशवासियों को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। निवेश और नौकरी घोटाले के तहत 100,360 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें लगभग 3216 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर, जनवरी से लेकर नवंबर तक साइबर अपराधों से 19,888.42 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि साइबर अपराधियों ने अब डिजिटल दुनिया में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।

साइबर सुरक्षा के लिए सरकार की पहल

इन बढ़ते साइबर अपराधों के खिलाफ सरकार सक्रिय रूप से कदम उठा रही है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने हाल ही में 43वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में एक बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को साइबर अपराध के बढ़ते रूपों से अवगत कराना है। आई4सी के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. दीपक कुमार ने बताया कि इस जागरूकता अभियान का लोगों से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। लोग साइबर अपराधों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रदर्शनी में आ रहे हैं और धोखाधड़ी से बचने के उपाय पूछ रहे हैं।

‘डिजिटल अरेस्ट’ का खतरा

इस साल के सबसे प्रमुख साइबर अपराधों में से एक है ‘डिजिटल अरेस्ट’ मामला, जो विशेष रूप से बढ़ रहा है। इसमें धोखेबाज कानून प्रवर्तन या सरकारी अधिकारियों का रूप धारण कर पीड़ितों को डराते हैं और उनसे पैसे ऐंठते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लोगों को इस धोखाधड़ी के प्रति चेतावनी दी थी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि यदि उन्हें इस प्रकार की कोई घटना हो, तो वे तुरंत इसकी रिपोर्ट करें।

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