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Jharkhand के जामताड़ा से निकला साइबर जालसाज, BSES ग्राहक सेवा बनाकर उड़ाए लाखों

व्हाट्सएप लिंक और फर्जी सिम के जरिए कर रहा था धोखाधड़ी, पुलिस ने दो स्मार्टफोन किए बरामद...

by Neha Verma
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नई दिल्ली: दक्षिण-पश्चिम दिल्ली की साइबर क्राइम यूनिट ने झारखंड के कुख्यात जामताड़ा इलाके से एक साइबर ठग को गिरफ्तार किया है, जो बीएसईएस ग्राहक सेवा के नाम पर लोगों को ठगने का संगठित गिरोह चला रहा था। आरोपी की पहचान 23 वर्षीय बिकाश मंडल के रूप में हुई है, जो झारखंड के देवघर जिले का निवासी है। पुलिस ने आरोपी के पास से दो स्मार्टफोन बरामद किए हैं, जिनमें ठगी से संबंधित आपराधिक साक्ष्य मौजूद हैं।

कैसे हुई ठगी

दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि यह मामला 2 फरवरी को तब सामने आया जब आरके पुरम सेक्टर-1 के एक निवासी ने शिकायत दर्ज कराई। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने बीएसईएस कनेक्शन के स्वामित्व हस्तांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसके बाद उन्हें एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को बीएसईएस का प्रतिनिधि बताया और सीए नंबर अपडेट करने के बहाने उनसे संपर्क किया।

इसके बाद, ठग ने पीड़ित को व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा। जैसे ही शिकायतकर्ता ने लिंक पर क्लिक किया, उनके मोबाइल पर ओटीपी आने लगे और तुरंत बाद उनके एसबीआई क्रेडिट कार्ड से 49,995 रुपये की दो अवैध ट्रांजेक्शन कर ली गईं। इस घटना के बाद साइबर पुलिस स्टेशन, दक्षिण-पश्चिम में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की गई।

तकनीकी जांच और गिरफ्तारी

जांच के दौरान तकनीकी निगरानी की गई, जिसमें यह सामने आया कि कॉल और व्हाट्सएप नंबर झारखंड के देवघर जिले के कोरो गांव में सक्रिय थे। ये नंबर फर्जी सिम कार्डों से संचालित किए जा रहे थे, जिससे आरोपी की पहचान करना चुनौतीपूर्ण था।

14 अप्रैल को इंस्पेक्टर विकास बुलडाक के नेतृत्व में एक पुलिस टीम झारखंड रवाना हुई। जामताड़ा क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने मध्यरात्रि में छापेमारी की योजना बनाई। आरोपी बिकाश मंडल को जैसे ही पुलिस की भनक लगी, वह जंगल की ओर भागने की कोशिश करने लगा। लेकिन टीम ने 16 अप्रैल को देवघर के कोलडीह गांव से उसे गिरफ्तार कर लिया।

पुराना अपराधी है बिकाश मंडल

पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि बिकाश मंडल पहले भी साइबर धोखाधड़ी के मामलों में संलिप्त रहा है और पूर्व में गिरफ्तार भी हो चुका है। वह फर्जी सिम कार्ड और सोशल इंजीनियरिंग के जरिए लोगों को फंसाकर उनके बैंक खातों से पैसे उड़ा देता था।

साइबर क्राइम यूनिट ने इस मामले को महज पांच दिनों के भीतर सुलझाकर एक बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस अब आरोपी से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश कर रही है कि उसके साथ और कौन-कौन लोग शामिल हैं और क्या यह कोई बड़ा गिरोह है।

पुलिस की अपील

पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और किसी भी कॉल करने वाले को ओटीपी या बैंक डिटेल्स न दें, चाहे वह खुद को किसी भी कंपनी का प्रतिनिधि क्यों न बता रहा हो। इस तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा उपाय है।

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