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DDU Railway Station : महाकुंभ के बाद DDU रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं की भीड़, ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नही, लटककर यात्रा

रेलवे प्रशासन को इस भीड़ को संभालने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। भीड़ से निपटने के लिए रेलवे को अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था, यात्रियों के लिए बेहतर इंतजाम और सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

by Rakesh Pandey
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प्रयागराज: चल रहे महाकुंभ का उत्सव अपने चरम पर है और इस महापर्व में स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु हर दिन उमड़ रहे हैं। रविवार तक कुल 31.70 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई है और इस दौरान अब तक 60.74 करोड़ से ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं। यह श्रद्धालु अपनी धार्मिक यात्रा पूरी करने के बाद अब अपने घरों को लौट रहे हैं, जिसके चलते रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ का सामना करना पड़ रहा है।

इसी बीच, चंदौली जिले का दीन दयाल उपाध्याय (DDU) रेलवे स्टेशन इन दिनों भीड़-भाड़ का केंद्र बना हुआ है। यहां से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए ट्रेन पकड़ने पहुंच रहे हैं। स्टेशन की हालत यह है कि ट्रेनों में पैर रखने की भी जगह नहीं है। यात्री किसी तरह खड़े-खड़े यात्रा करने को मजबूर हैं।

स्टेशन पर बढ़ती भीड़ ने उड़ाई अधिकारियों की नींद

दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन पर दिन-ब-दिन श्रद्धालुओं का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। ट्रेनें इतनी अधिक भीड़ से भरी हुई हैं कि कुछ यात्री सीट तक नहीं पा रहे। इसके बावजूद लोग लटकते हुए या खड़े-खड़े यात्रा करने को मजबूर हैं। विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उड़ीसा जाने वाली ट्रेनों में हालात ज्यादा खराब हैं।

यहां तक कि कुछ यात्री तो ट्रेन के अंदर खड़े होने की जगह न मिलने पर दरवाजे पर लटककर यात्रा कर रहे हैं। यह स्थिति यात्रियों के लिए न सिर्फ असुविधाजनक बल्कि खतरनाक भी बन गई है। ऐसा ही एक उदाहरण देखने को मिला जब बिहार के सासाराम जाने वाली एक ट्रेन में चढ़ने के दौरान एक महिला को भी भीड़ के कारण ट्रेन में जगह नहीं मिल पाई। महिला ने बताया, “हम प्रयागराज से स्नान करने के बाद सासाराम लौट रहे थे, लेकिन ट्रेन में जगह नहीं मिली और हमारी ट्रेन छूट गई। अब हम दूसरी ट्रेन से यात्रा करेंगे।”

अत्यधिक भीड़ के कारण यात्री परेशान

इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के सियालदह जाने वाली ट्रेन भी पूरी तरह से फुल हो चुकी थी। एसी कोच से लेकर जनरल कोच तक सभी सीटें भरी हुई थीं। कुछ यात्री जिन्हें ट्रेन में बैठने की जगह नहीं मिली, वे ट्रेन के दरवाजे पर लटकते हुए यात्रा करने के लिए मजबूर हो गए। यह न केवल यात्रियों के लिए जोखिमपूर्ण है, बल्कि रेलवे प्रशासन के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन गई है।

रेलवे प्रशासन की चुनौती

रेलवे प्रशासन को इस भीड़ को संभालने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इतने बड़े पैमाने पर यात्री आने के कारण ट्रेनों की क्षमता के बाहर यात्रियों को यात्रा करना पड़ रहा है। इस भीड़ से निपटने के लिए रेलवे को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था, यात्रियों के लिए बेहतर इंतजाम और सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, ताकि श्रद्धालुओं की यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाया जा सके।

श्रद्धालुओं का धैर्य और संघर्ष

यह स्थिति दर्शाती है कि श्रद्धालुओं की आस्था और महाकुंभ के प्रति उनका प्यार कितनी बड़ी ताकत है। यात्री किसी भी हाल में अपने घर लौटने के लिए तैयार हैं, चाहे उन्हें खड़े-खड़े यात्रा करनी पड़े या फिर किसी ट्रेन में लटकते हुए यात्रा करनी पड़े। इसके बावजूद, उनके चेहरों पर किसी भी तरह की निराशा का कोई संकेत नहीं दिखता। वे आस्था के इस सफर को पूरी श्रद्धा के साथ निभा रहे हैं और यही महाकुंभ का असली संदेश है।

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