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ओडिशा सरकार से ढिंकिया परियोजना का विरोध कर रहे लोगों पर दर्ज प्राथमिकी हटाने की मांग

by Rakesh Pandey
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भुवनेश्वर : उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश मदन बी लोकुर और मेधा पाटकर समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ओडिशा सरकार से जगतसिंहपुर जिले के ढिंकिया गांव में प्रस्तावित इस्पात परियोजना का विरोध कर रहे ग्रामीणों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लेने का अनुरोध किया है। सज्जन जिंदल के जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने गांव में एक भूखंड पर समेकित इस्पात संयंत्र लगाने का प्रस्ताव किया है। पहले यह भूखंड दक्षिण कोरिया की कंपनी पोस्को द्वारा इस्पात परियोजना के लिए अधिग्रहीत किया गया था। न्यायमूर्ति लोकुर की अगुवाई में सामाजिक कार्यकर्ताओं के ‘पीपुल्स कमीशन’ (पीसी) नामक संगठन ने ग्रामीणों की शिकायतें सुनीं जो इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का पक्ष सुनने के बाद पीपुल्स कमीशन ने सरकार के लिए अपनी टिप्पणियों और सिफारिशों के साथ अंतरिम रिपोर्ट जारी की है।

ग्रामीणों के लिए जानलेवा है यह परियोजना :

पीसी ने कहा कि ढिंकिया पंचायत के निवासी अपनी आजीविका और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव के कारण इस परियोजना के पक्ष में नहीं हैं। लोकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘ परियोजना के कारण स्थानीय लोगों की आजीविका, वन अधिकार, रोजगार एवं सांस्कृतिक अधिकार प्रभावित हुए हैं। बहुत सारे लोगों के साथ मारपीट की गयी जबकि कई के खिलाफ मामले दर्ज किये गये तथा दो अब भी जेल में हैं।

ग्रामीणों पर 100 मामले दर्ज, पुलिस कर रही परेशान :

कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 2019 से 2023 के बीच ग्रामीणों के खिलाफ करीब 100 मामले दर्ज किये गये हैं तथा कुछ प्राथमिकी में तो कई लोगों के नाम शामिल हैं। पीसी ने मांग की कि ग्रामीणों के खिलाफ दर्ज किये गये सभी आपराधिक मामले वापस लिये जाने चाहिए तथा जोर-जबर्दस्ती की प्रक्रिया रूकनी चाहिए। उन्होंने पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया। उसने कहा कि नागरिकों के पास अभिव्यक्ति एवं आंदोलन के अधिकार के अलावा विस्थापन का शांतिपूर्ण विरोध करने का अधिकार है और इन अधिकारों का इस्तेमाल करने को लेकर उनके साथ अपराधियों जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता है।

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