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विपत्ति जब भी आती है
बुजदिल को दहलाती है।
योद्धा कभी न डरते हैं,
राह नई नित गढ़ते हैं।
साहस राह दिखाता है
विश्वास दीप जलाता है
नूतन पथ गढ़ देता है।
कांटों पर चल देता है।
लक्ष्य दूर का रखता है
तूफां से ना हिलता है,
मंजिल मिलती है उनको
विजयी रुप दिखता सबको।
नीति नीयत अच्छी जिनकी
कृपादृष्टि उनपर होती,
जिनका कर्म है अविराम
फिर सफलता है अभिराम।
राह कभी ना रुकना तुम
बाधा से ना डरना तुम,
रूकना, मरना एक सखे
चलता है वह, नेक दिखे।
जग तो बोला करता है
नित दिन तोला करता है,
उन बातों का मतलब क्या?
तेरा फिर है करतब क्या?
सबका सुनना, कर अपना
बाधा से ना तू डरना,
अंदर तेरे “सच’ रसना!
वह जो कहता सो करना !
– अरुण सज्जन