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तिरुमाला को कंक्रीट के जंगल न बनने दें: Andhra High Court

न्यायालय ने एंन्डॉवमेंट्स विभाग, TTD के कार्यकारी अधिकारी (EO) और TTD की सतर्कता अधिकारियों से उनके जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 7 मई तक स्थगित कर दी।

by Reeta Rai Sagar
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विजयवाड़ा: तिरुमाला में बढ़ती निर्माण गतिविधियों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को पहाड़ी तीर्थ स्थल पर नई संरचनाओं के निर्माण को लेकर अत्यंत सतर्क रहना चाहिए।

तिरुपति निवासी टी महेश द्वारा दायर की गई जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान इन निर्माणों पर कड़ी आपत्ति जताई और वन क्षेत्र के घटते जाने पर चिंता व्यक्त की। इसमें TTD से यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि मठों और विश्रामगृहों के नाम पर अवैध निर्माण रोके जाएं। यह सुनवाई उच्च न्यायालय की बेंच द्वारा की गई, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश धीरज सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति चीमलापति रवि ने की।

उन्होंने कहा, “आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए ताकि सुंदर तिरुमाला को एक कंक्रीट के जंगल में तब्दील होने से बचाया जा सके। यदि निर्माण गतिविधियाँ इस गति से जारी रही, तो निकट भविष्य में तिरुमाला का वन क्षेत्र समाप्त हो जाएगा।” साथ ही, न्यायालय ने कहा कि बिना उचित योजना के मठों का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा।

इसके बाद, न्यायालय ने एंन्डॉवमेंट्स विभाग, TTD के कार्यकारी अधिकारी (EO) और TTD की सतर्कता अधिकारियों से उनके जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 7 मई तक स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ता के वकील उदय कुमार ने न्यायालय को बताया कि TTD ने धार्मिक संस्थाओं द्वारा बिना आवश्यक अनुमति के मठों और अन्य इमारतों के निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

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