Home » Swastika : क्या आपसे भी स्वास्तिक बनाने में होती है गलती? तो दीवाली पर जानें सही तरीका..

Swastika : क्या आपसे भी स्वास्तिक बनाने में होती है गलती? तो दीवाली पर जानें सही तरीका..

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

फीचर डेस्क : दीवाली का त्योहार केवल रोशनी और मिठाईयों का पर्व नहीं है, बल्कि यह शुभता, समृद्धि और सकारात्मकता का भी प्रतीक है। इस अवसर पर घर में स्वास्तिक का चिन्ह बनाना एक प्राचीन परंपरा है, जो घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने का कार्य करता है। स्वास्तिक का चिन्ह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यहां हम जानेंगे स्वास्तिक का सही तरीका, उसका अर्थ और उसकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रासंगिकता।

स्वास्तिक का अर्थ


स्वास्तिक एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है “कल्याण” या “सुख”। यह चार प्रमुख रेखाओं से मिलकर बना होता है, जो एक दूसरे को काटती हैं। यह रेखाएं चार प्रमुख तत्वों को दर्शाती हैं।

धर्म: सही आचरण और नैतिकता।
अर्थ: धन और भौतिक संसाधन।
काम: इच्छाएं और इच्छाओं की पूर्ति।
मोक्ष: आत्मा की मुक्ति।

स्वास्तिक में घड़ी की दिशा में मुड़ने वाली रेखाएं सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य और सायुज्य को दर्शाती हैं। इसके अलावा, स्वास्तिक के बीच में रखी चार बिंदियां श्रद्धा, विश्वास, प्रेम और समर्पण का प्रतीक हैं। इस प्रकार, स्वास्तिक केवल एक धार्मिक चिन्ह नहीं है, बल्कि यह जीवन के चार स्तंभों को भी दर्शाता है।

स्वास्तिक बनाने का सही तरीका

स्वास्तिक बनाते समय कई लोग गलती से इसे गलत तरीके से बना देते हैं। यहां हम एक सटीक विधि बताएंगे जिससे आप सही तरीके से स्वास्तिक बना सकते हैं:

आवश्यक सामग्री

एक सफेद या रंगीन चादर (या दीवार)
चाक, रंगीन पेंट या आटा
अनामिका उंगली (अंगूठे और बीच की अंगुली के बीच वाली अंगुली) का प्रयोग करें

बनाने की विधि

पहली रेखा: सबसे पहले, अनामिका उंगली का उपयोग करते हुए ऊपर से नीचे की दिशा में एक लंबी रेखा खींचें। यह रेखा स्वास्तिक का मुख्य तंतु है।

दूसरी रेखा: अब, पहली रेखा के अंत में दाएं से बाएं दिशा में एक और रेखा खींचें। इस रेखा का उद्देश्य स्वास्तिक का क्रॉस बनाना है।

तीसरी रेखा: इसके बाद, नीचे से ऊपर की दिशा में एक लंबी रेखा खींचें, जो दूसरी रेखा के साथ मिलकर एक “+” का आकार बनाती है।

चौथी रेखा: अंत में बाएं से दाएं दिशा में एक और रेखा खींचें। इस तरह से आप स्वास्तिक का मुख्य आकार बना चुके हैं।

अतिरिक्त रेखाएं: अब इन रेखाओं के छोर पर आगे बढ़ती हुई रेखाएं बनाएं। यह रेखाएं स्वास्तिक के चारों ओर निकलेंगी, जो इसे और भी खूबसूरत बनाती हैं।

छोटी रेखाएं: अब, स्वास्तिक के ऊपर से चार छोटी-छोटी रेखाएं बनाएं। ये रेखाएं मन, बुद्धि, अहंकार और चेतना का प्रतीक हैं।

बिंदियां: अंत में, स्वास्तिक के केंद्र में चार बिंदियां रखें। ये बिंदियां श्रद्धा, विश्वास, प्रेम और समर्पण को दर्शाती हैं।

ध्यान देने योग्य बातें

स्वास्तिक बनाते समय ध्यान रखें कि कोई भी रेखा एक-दूसरे को न काटे। सभी रेखाएं एक-दूसरे से अलग-अलग होनी चाहिए। स्वास्तिक को हमेशा शुभता और सकारात्मकता के प्रतीक के रूप में बनाएं। यदि आप रंगीन पेंट का प्रयोग कर रहे हैं, तो लाल, पीला या हरा रंग शुभ माना जाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

स्वास्तिक का चिन्ह केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और संस्कृति में गहराई से जुड़ा हुआ है। यह विभिन्न धार्मिक आस्थाओं में एक समान रूप से सम्मानित किया जाता है। स्वास्तिक को घर के मुख्य द्वार पर बनाना, अतिथियों के स्वागत और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का संकेत है।

इसके अलावा, दिवाली पर स्वास्तिक बनाकर घर को सजाने से परिवार में सुख-शांति का वास होता है। इस समय जब घर में दीयों की रोशनी होती है, तब स्वास्तिक का यह चिन्ह घर में एक अद्भुत आभा और सकारात्मकता का संचार करता है।

दिवाली का यह पर्व हमें न केवल दीयों और मिठाइयों का आनंद देता है, बल्कि हमें अपने जीवन में शुभता और सकारात्मकता को भी शामिल करने का संदेश देता है। स्वास्तिक का सही तरीका अपनाकर, आप न केवल एक सुंदर चिन्ह बनाएंगे, बल्कि अपने घर में सुख, शांति और समृद्धि का भी स्वागत करेंगे।

Read Also- Ayodhya Deepotsav 2024 :  अयोध्या में दीपोत्सव: कैसे हुई अयोध्या के दीयों की गिनती

Related Articles