नई दिल्ली : मार्च का महीना खत्म होने वाला है और अप्रैल की शुरुआत के साथ ही भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ लागू हो सकते हैं। 2 अप्रैल से लागू होने वाले इस ट्रंप टैरिफ (Trump Tariff) का व्यापक असर विभिन्न सेक्टर्स पर पड़ सकता है, जिसमें ऑटो, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वेलरी जैसे प्रमुख उद्योग शामिल हैं। इस निर्णय का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि अमेरिका-भारत के व्यापार संबंधों में यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है।
ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ और भारत के निर्यात पर असर
डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से भारत को टैरिफ किंग के रूप में संबोधित करते रहे हैं। उन्होंने हाल ही में भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो 2 अप्रैल से लागू होगा। इस फैसले का असर भारत के कुल 31 अरब डॉलर के निर्यात पर देखने को मिलेगा। खासकर, कार-ऑटो पार्ट्स, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, और ज्वेलरी जैसे सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं।
अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा निवेशक
भारत का अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन भी असमान है। 2024 वित्तीय वर्ष में भारत का अमेरिका को निर्यात 77.5 अरब डॉलर रहा, जबकि अमेरिका का भारत को निर्यात 40.7 अरब डॉलर था। यही नहीं, अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है, जिसने 2000 से लेकर अब तक 67.76 अरब डॉलर का FDI किया है। ऐसे में इस नए टैरिफ का भारत के व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ना तय है।
फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर पर खास असर
भारत का फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर अमेरिका से जुड़ा हुआ है और इस पर ट्रंप टैरिफ का खास असर देखने को मिल सकता है। अमेरिका फिलहाल भारतीय फार्मा उत्पादों पर न्यूनतम शुल्क लगाता है, लेकिन ट्रंप के नए टैरिफ के तहत भारतीय फार्मा उत्पादों पर 10% शुल्क लगाया जा सकता है। इस कदम से भारतीय जेनेरिक मैन्युफैक्चरर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए अतिरिक्त लागत बढ़ सकती है, जो उनके लिए एक चुनौती बन सकती है।
जुड़े हैं इन कंपनियों के शेयर
इससे जुड़े प्रमुख शेयरों में Sun Pharma, Cipla, Lupin और Dr. Reddy’s Labs शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस सेक्टर में शॉर्ट टर्म में व्यवधान हो सकता है, जिससे इन कंपनियों के शेयरों पर दबाव पड़ सकता है।
ऑटो, ज्वेलरी और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर प्रभाव
ऑटो सेक्टर के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो अमेरिका में अपनी कारों और ऑटो पार्ट्स का निर्यात करती हैं। इन पर 25% शुल्क का प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, Dixon Technologies और Kaynes Tech जैसी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को भी असर महसूस हो सकता है, क्योंकि इन कंपनियों का काफी व्यापार अमेरिकी बाजार में होता है।
ज्वेलरी सेक्टर में भी असर देखने को मिल सकता है, जहां Malabar Gold, Rajesh Exports, Kalyan Jewellers जैसी कंपनियों की अमेरिकी बाजार में अच्छी खासी मौजूदगी है। इन कंपनियों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का असर पड़ सकता है, जिससे इनके शेयरों में गिरावट आ सकती है।
आईटी सेक्टर को लेकर एक्सपर्ट्स ने दी है चेतावनी
आईटी सेक्टर, जो भारत के प्रमुख निर्यातक क्षेत्रों में से एक है, भी इस टैरिफ से प्रभावित हो सकता है। Infosys और TCS जैसी प्रमुख कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार बहुत महत्वपूर्ण है। यदि व्यापारिक तनाव बढ़ता है और अमेरिका में ग्राहक खर्च घटता है, तो इन कंपनियों की वित्तीय सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
नोमुरा का दृष्टिकोण
नोमुरा के इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि भारत ने ट्रंप प्रशासन के प्रति अधिक समझौतापूर्ण रुख अपनाया है, जबकि कुछ अन्य देशों की तुलना में भारत का रुख ज्यादा लचीला है। उनका कहना है कि Bilateral Trade Agreement (BTA) का असर कुछ समय बाद दिख सकता है, लेकिन यह एक सकारात्मक संकेत है। यह BTA भारत को रेसिप्रोकल टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।