जमशेदपुर : रक्षा बंधन का त्योहार हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। यह भाई-बहन के प्यार और स्नेह का पर्व है और पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, यह ज्यादातर अगस्त माह में मनाया जाता है।
इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांध कर अपने भाई की लम्बी आयु की कामना करती है। राखी या कलाई पर बांधने वाला धागा इस बात का प्रतीक माना जाता है कि भाई अपनी बहन पर आने वाली किसी भी मुसीबत से रक्षा करेगा। यह पर्व भाई-बहन के प्यार और सम्मान की भावना को भी व्यक्त करता है।
कैसे मनाया जाता है त्योहार राखी बांधने की रस्म से बहन अपने भाई को उनकी सुरक्षा और खुशहाली की कामना प्रकट करती हैं, जबकि भाई अपनी बहन को आशीर्वाद और वरदान देता है। इस पर्व के माध्यम से भाई-बहन का बंधन मजबूत होता है। उनकी प्यार भरी दृढ़ता और सम्मान को भी दर्शाया जाता है।
इस साल दो दिन क्यों मनाया जायेगा रक्षा बंधन
इस साल रक्षाबंधन दो दिन मनाया जायेगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार 2023 में रक्षाबंधन 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जायेगा। क्योंकि इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा नक्षत्र पड़ रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा नक्षत्र में राखी बांधना अशुभ होता है। एक घटना का जिक्र किया गया है- पौराणिक काल में रावण की बहन शूपर्णखा ने भद्रा काल में ही अपने भाई को राखी बांध थी। जिसके बाद रावण के पूरे वंश का नाश हो गया।
उसके बाद से यह परंपरा चली आ रही है। पंचांग के अनुसार इस बार सावन महीने की पूर्णिमा 30 अगस्त को पड़ रही है। पूर्णिमा सुबह 10ः58 से शुरू होकर 31 अगस्त सुबह 7ः05 बजे तक रहेगी। इस दौरान भद्रा काल 30 अगस्त सुबह 10ः58 से रात 9ः01 बजे तक रहेगा। इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होगा। शुभ समय रात 9 बजे लेकर 31 अगस्त सुबह 7 बजे के पहले तक रहेगा।
अगर कोई बहन अपने भाई को 30 अगस्त को राखी बांधना चाहती है तो शुभ समय सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक बांध सकती है। वहीं 31 अगस्त को सुबह 7 बजे के पहले राखी बांध सकती है।
रक्षाबंधन का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना
रक्षाबंधन का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना माना जाता है। द्वापर और त्रेता युग से भी पुराना है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान इंद्र की पत्नी ने असुरों के राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था। उसके बाद त्रेता युग में रावण की बहन शूपर्णखा ने भी राखी बांधी थी। महाभारत काल में द्रौपदी ने भी भगवान कृष्ण को रक्षा सूत्र बांधा था।
कैसे बांधें भाइयों की कलाई पर राखी
भाई और बहन के प्यार और स्नेह के इस पवित्र पर्व पर बहने अपने भाइयों को माथे पर तिलक लगाकर व आरती उतारकर रक्षा सूत्र बांध सकती हैं। कुछ बहनें पूरे विधि विधान से राखी बांधने तक उपवास भी रखती हैं। राखी बांधने से पहले बहनों को सबसे पहले पूजा की थाली सजाना चाहिए। इसके बाद थाली में राखी, रोली, दीया, कुमकुम, अक्षत और मिष्ठान रखें। राखी बांधने से पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं। उसके बाद अपने भाई को दाहिने हाथ में राखी बांधी बांधें। राखी बांधने के बाद बाद भाइयों की आरती करनी चाहिए।
इस बार 15 दिन देर से रक्षाबंधन
हर साल सावन की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस बार रक्षाबंधन के लिए 15 दिन ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा। अधिकमास के कारण इस बार सावन दो महीने का है। अधिकमास होने से 15 दिन देर से रक्षाबंधन 30 और 31 अगस्त को मनाया जायेगा। सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई को हुई थी। वहीं 31अगस्त के बाद भादो माह की शुरुआत होगी।