दुमका : इन दिनों झारखंड के दुमका जिले में साइबर ठगों का एक नया तरीका सामने आया है, जिसमें लोग डिजिटल अरेस्ट के शिकार हो रहे हैं। हाल ही में एक शिक्षक को इस धोखाधड़ी का निशाना बनाया गया, जो अपनी समझदारी से बड़े नुकसान से बच गए। यह मामला दुमका के जरमुंडी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलगुम्मा का है, जहां शिक्षक मनोज कुमार यादव को ठगों ने दो घंटे तक अपने जाल में फंसा कर रखा।
ठगों का फर्जी कॉल और लाखों रुपये की डिमांड
साइबर अपराधियों ने खुद को दिल्ली पुलिस, सीबीआई और कस्टम विभाग के अधिकारी बताकर शिक्षक मनोज कुमार यादव को फोन किया। ठगों ने आरोप लगाया कि शिक्षक ने कस्टम विभाग के साथ एक बड़ा फर्जीवाड़ा किया है और उन्हें दिल्ली कोर्ट में पेश होने के लिए बुलाया। कॉल करने वालों ने मनोज को डराया-धमकाया और उनकी गिरफ्तारी से बचने के लिए लाखों रुपये की मांग की।
ठगी के शिकार होने से बची जिंदगी
मनोज कुमार यादव ने शुरू में इन कॉल्स को गंभीरता से लिया और ठगों द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते गए। उन्हें यह अहसास होते ही कि यह एक धोखाधड़ी है, जब ठगों ने उनसे आधार कार्ड और बैंक खाते की जानकारी भी मांगी। शिक्षक ने समझदारी दिखाई और अंत में अपना फोन बंद कर दिया, जिससे वह ठगी के शिकार होने से बच गए।
पुलिस की जांच और साइबर अपराधियों का गिरोह
मनोज यादव ने इस मामले की लिखित शिकायत जरमुंडी थाने में दी है और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। यह घटना झारखंड में साइबर ठगों की बढ़ती सक्रियता को दर्शाती है। हाल ही में एक महिला इंजीनियर भी ऐसी ही ठगी का शिकार हो चुकी हैं, जिससे यह साबित होता है कि साइबर अपराधी अब डिजिटल अरेस्ट जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
बढ़ते साइबर अपराध पर पुलिस की निगरानी जरूरी
बता दें कि झारखंड में इस तरह के डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे मामलों में आम नागरिकों को सतर्क रहने की जरूरत है। अपनी सुरक्षा ही सबसे महत्वपूर्ण है, ऐसे अपराधों से बचने के लिए हमेशा सतर्क और किसी भी संदिग्ध कॉल से दूर रहें।