Chaibasa (Jharkhand) : झारखंड के चाईबासा जिले स्थित सारंडा के गहरे जंगलों में नक्सलियों द्वारा पूर्व में लगाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट में एक हाथी बुरी तरह से घायल हो गया। इस दर्दनाक घटना ने वन विभाग और पशु प्रेमियों के बीच चिंता बढ़ा दी है। घायल हाथी के एक पैर में गंभीर जख्म है और पूरे शरीर में तेजी से संक्रमण फैल चुका है, जिससे उसकी जान को खतरा बना हुआ है।
कैसे हुआ हादसा?
जानकारी के अनुसार, यह विस्फोट समठा वन क्षेत्र के तिरिलपोशी इलाके में हुआ, जहां नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए पहले से आईईडी प्लांट किया था। दुर्भाग्यवश, एक मासूम हाथी इस आईईडी की चपेट में आ गया और उसका एक पैर बुरी तरह फट गया।
घायल हाथी की तलाश और ट्रेसिंग ऑपरेशन
घटना की सूचना मिलते ही आरसीसीएफ (जमशेदपुर) स्मिता पंकज और डीएफओ (सारंडा) अविरुप सिन्हा के नेतृत्व में झारखंड-ओडिशा वन विभाग और पशु कल्याण संस्था वनतरा (Vanatara) की संयुक्त टीम ने सघन सर्च ऑपरेशन शुरू किया। कई घंटों की कड़ी मेहनत के बाद टीम ने जंगल के भीतर घायल हाथी को खोज निकाला।
जंगल में ही शुरू हुआ मुश्किल ऑपरेशन
वन विभाग की टीम को 4 जुलाई को ही हाथी की लोकेशन मिल चुकी थी। वनतरा की विशेषज्ञ पशु चिकित्सा टीम शुक्रवार को ही पहुंच गई थी, जिसके बाद शनिवार को पूरे सतर्कता के साथ उपचार अभियान शुरू किया गया। हाथी को बेहोश करने के लिए सेडेटिव इंजेक्शन दिया गया, ताकि उसका उपचार जंगल में ही शुरू किया जा सके। हालांकि स्थिति इतनी गंभीर है कि हाथी को जंगल से बाहर लाना संभव नहीं है। इसलिए जंगल में ही अस्थायी टेंट, दवाएं, पानी और सभी आवश्यक संसाधनों के साथ इलाज चलाया जा रहा है।
संक्रमण गंभीर, हालत नाजुक
वनतरा के डॉक्टरों और वन विभाग की टीम लगातार घायल हाथी के पास मौजूद है। हाथी का पैर बुरी तरह फट चुका है और पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया है। ऑपरेशन जैसे हालात में जंगल में ही इलाज करना टीम के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य बन चुका है।
वन विभाग की प्राथमिकता हाथी की जान बचाना
आरसीसीएफ स्मिता पंकज ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हाथी की स्थिति गंभीर है। उसका एक पैर पूरी तरह जख्मी है और संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हमारी पहली प्राथमिकता उसकी जान बचाना है। विस्फोट कैसे हुआ, इसकी गहन जांच की जाएगी।”
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