नई दिल्ली : दुनिया के सबसे चर्चित और प्रभावशाली टेक्नोक्रैट्स में से एक एलन मस्क ने एक बार फिर राजनीति में तूफान ला दिया है। टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ ने दावा किया है ‘अगर मैं न होता, तो डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार जाते‘।इतना ही नहीं, उन्होंने अमेरिकी राजनीति की दो-दलीय व्यवस्था पर सीधा सवाल उठाते हुए एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने की संभावना तलाशनी शुरू कर दी है। मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर एक पोल डाला है, जिसमें उन्होंने पूछा – ‘क्या अमेरिका में ऐसी नई पार्टी बननी चाहिए, जो बीच के 80% लोगों का प्रतिनिधित्व करे?’ देखते ही देखते यह पोल वायरल हो गया और कुछ ही घंटों में तीन लाख से ज्यादा वोट पड़े, जिनमें से 84% लोगों ने मस्क के पक्ष में हामी भरी।
फैक्ट फाइल : एलन मस्क का पॉलिटिकल तूफान
- बयान : ‘मैं नहीं होता तो ट्रंप हार जाते’
- ऑनलाइन पोल : X (Twitter) पर नई पार्टी की मांग पर
- वोटिंग परिणाम : 84% लोगों ने नई पार्टी के पक्ष में वोट दिया
- असर : अमेरिका की दो-दलीय व्यवस्था पर सवाल
- टकराव : ट्रंप टीम की सोशल पोस्ट शेयर कर निशाना
- अनफॉलो : ट्रंप टीम के कई वरिष्ठों को सोशल मीडिया पर अनफॉलो
- कंपनियां : टेस्ला, स्पेसएक्स, X (Twitter), न्यूरालिंक
अमेरिका में क्यों मचा सियासी भूचाल
एलन मस्क के इस बयान और पोल के पीछे अमेरिकी राजनीति में बढ़ता ध्रुवीकरण, बढ़ती महंगाई, बजट घाटा, और आम नागरिकों का बढ़ता असंतोष है। मस्क ने कहा कि अमेरिकी संसद देश को दिवालियापन की ओर ले जा रही है। यह बयान सिर्फ बयान नहीं, बल्कि अमेरिका में एक वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था की शुरुआत का संकेत है। यदि मस्क जैसी शख्सियत खुले तौर पर पार्टी बनाते हैं, तो टेक्नोक्रेट्स, उद्यमियों और मिडिल क्लास के वोटर एक साथ आ सकते हैं।
भारत को इससे क्या फायदा
- टेक्नोलॉजी और निवेश के रास्ते खुलेंगे : यदि मस्क की पार्टी या आंदोलन टेक्नोलॉजी और उद्यमिता को केंद्र में रखती है, तो भारत जैसे टेक-सेंट्रिक राष्ट्र के साथ सहयोग और निवेश बढ़ सकता है, विशेषकर AI, EV और स्पेस सेक्टर में।
- भारतीय डायस्पोरा को प्रतिनिधित्व का मौका : भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक, जो परंपरागत पार्टियों में उपेक्षित महसूस करते हैं, मस्क की नई विचारधारा से जुड़ सकते हैं।
- डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच संतुलन : भारत को अमेरिका की नीति में स्थिरता चाहिए। अगर मस्क के नेतृत्व में centrist politics उभरती है, तो भारत-अमेरिका संबंध और स्थिर हो सकते हैं।
चीन और पाकिस्तान पर असर
- चीन के लिए चुनौती : यदि मस्क की नई राजनीति अमेरिका में टेक्नोलॉजी और सैन्य नवाचार को प्राथमिकता देती है, तो यह चीन की बेल्ट एंड रोड पॉलिसी और डिजिटल विस्तारवाद के लिए चुनौती बन सकता है। मस्क पहले ही अंतरिक्ष में इंटरनेट (Starlink) और AI डेवेलपमेंट में चीन को टक्कर दे रहे हैं। अगर उन्हें राजनीतिक शक्ति भी मिल जाती है, तो चीन की रणनीतिक बढ़त पर खतरा होगा।
- पाकिस्तान की चिंता : ट्रंप या मस्क के सत्ता में रहने से पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली सैन्य और वित्तीय मदद पर प्रभाव पड़ सकता है। मस्क, जो open data और AI surveillance को बढ़ावा देते हैं, पाकिस्तान जैसे अस्थिर क्षेत्रों में डिजिटल पारदर्शिता के पक्षधर हो सकते हैं, जिससे वहां की राजनीति पर वैश्विक दबाव बढ़ेगा।
नए मोड़ पर अमेरिका
एलन मस्क का यह बयान और पोल कोई साधारण सोशल मीडिया एक्टिविटी नहीं, बल्कि अमेरिका की राजनीति को नए मोड़ पर ले जाने की शुरुआत हो सकती है। अगर दुनिया का सबसे प्रभावशाली टेक्नोक्रैट खुद को सिर्फ कारोबारी नहीं बल्कि राजनीतिक लीडर के तौर पर पेश करता है, तो यह बदलाव अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे विश्व की रणनीतिक दिशा बदल सकती है।
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