जमशेदपुर/Three Santhali Movie: पं रघुनाथ एकेडमी ऑफ़ संताली सिनेमा एंड आर्ट (रास्का) द्वारा मंगलवार को तीन संथाली फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें दुमका संताल परगना क्षेत्र की फिल्म ‘होक रेयाक लाड़हाई’ (दुमका), ‘कारम दारे किरया’ (दुमका) और ‘जूरी’ (जामताड़ा) शामिल थी।
‘होक रेयाक लाड़हाई’
इस संथाली नाम का अर्थ है हक़ की लड़ाई। तालडांगा नाम का एक गांव है। उस गांव में रेंगटा नाम का एक गरीब और नेक व्यक्ति रहता है। उसी गांव में सोकोल मार्डी नाम का एक दुष्ट और अमीर व्यक्ति रहता है। सोकोल मार्डी सरकारी राशन दुकान का डीलर होने के साथ-साथ बालू की ठेकेदारी भी करता है। वह गांव के भोले-भाले लोगों को हमेशा ठगता और लूटता रहता है।
रेंगटा सोरेन, जो एक ट्रैक्टर ड्राइवर है, वह सोकोल मार्डी की ठगी से खुद को और गांव वालों को बचाने की हमेशा कोशिश करता है, जिससे वह सोकोल मार्डी के रास्ते का कांटा बन जाता है। सोकोल मार्डी रेंगटा सोरेन को रास्ते से हटाने के लिए षड्यंत्र रचता है। इस काम में वह संजली का इस्तेमाल करता है, संजली गांव की बहुत ही भोली-भाली लड़की है और वह रेंगटा से प्यार भी करती है।
संजली सोकोल मार्डी के षड्यंत्र को नहीं समझ पाती है। रेंगटा सोरेन सोकोल मार्डी के हर षड्यंत्र को तोड़ता जाता है, जिससे दोनों के बीच शत्रुता बढ़ जाती है। सोकोल मार्डी ठगी के नए-नए तरीके निकालता है और रेंगटा सोरेन उसमें फंसता जाता है। चूंकि रेंगटा सोरेन सिर्फ अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहा होता है, बल्कि वह गांव वालों एवं अपने समाज के लिए लड़ाई लड़ता है। हक और अधिकार की इस लड़ाई में अंततः रेंगटा सफल होता है और इस प्रकार वह गांव वालों को सोकोल मार्डी की ठगी और जालसाजी से बचा लेता है।
‘काराम दारे किरया’
इसका अर्थ है करम पेड़ की कसम। इस फिल्म में दो प्रेमी जोड़े की कहानी प्रस्तुत की गई है, जिसमें वे दोनों करम के पेड़ के पास अपने प्यार की कसम खाते हैं और एक-दूसरे के साथ रहने का वादा करते हैं। अगर किसी कारण वश दोनों एक-दूसरे से बिछड़ते हैं, तो वह उन लोगों के लिए मौत के समान सजा होगी, परंतु तपन मरांडी के परिवार इन दोनों के प्यार को लेकर सहमत नहीं होते हैं, क्योंकि तपन मरांडी का परिवार अमीर रहता है और शेफाली का परिवार गरीब है।
इधर शेफाली प्रेग्नेंट हो जाती है। यह बात तपन मरांडी के घर वालों को पता चल जाता है, जिस कारण तपन को उसके मामा घर भेज दिया जाता है, ताकि यह दोनों आपस में नहीं मिल सकें और तपन के पिता गांव में साजिश के तहत शेफाली को ही दोषी करार देते हैं, और उससे अपने माता -पिता के साथ गांव छोड़ने का फरमान जारी कर देते हैं। उधर तपन अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए बेचैन हो जाता है, जिस वजह से वह मामा घर से भाग कर शेफाली के पास मिलने जाता है।
परंतु कई दिनों से शेफाली का मिलन तपन से नहीं होने के कारण वह उम्मीद खो देती है और अंततः उस करम के पेड़ के पास जाकर वह जहर पी लेती है, तभी तपन वहां पहुंचता है, परंतु वह उसकी जान नहीं बचा पाता है। मौके पर तपन के पिता, शेफाली के माता-पिता और पुलिस आती है और काफी पूछताछ के बाद तपन के पिता चेतन मरांडी को संदेह में पकड़ कर ले जाती है। इस प्रकार दो प्रेमी जोड़े का दुखद अंत हो जाता है। फिर कई वर्षों बाद तपन के पिता चेतन को जेल की सजा हो जाती है।
‘जूरी’
इसका अर्थ है ‘धर्मपत्नी’। फिल्म एक लव स्टोरी है, जिसमें पिंटू और अनिषा एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं, फिर बाद में पता चलता है कि उनके मां-बाप भी एक दूसरे के दोस्त हैं। शुरुआती दौर में दोनों दोस्त परिवार एक-दूसरे को बहुत मदद करते हैं, लेकिन बाद में कुछ कारणों से दोनों परिवार अलग हो जाते हैं, परंतु पिंटू और अनिषा एक-दूसरे को प्यार करते रहते हैं।
परिवार में सहमति नहीं होने के कारण दोनों घर से भाग कर शादी कर लेते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद पिंटू का एक्सीडेंट हो जाता है। इसमें पिंटू के पापा, पिंटू की जान बचाने के लिए अनीषा से पिंटू को हमेशा के लिए छोड़ देने का सौदा करते हैं। इस तरह दोनों पति -पत्नी को अलग कर दिया जाता है, लेकिन अंत में इन दोनों के बेइंतहा प्यार को देखते हुए दोनों परिवार फिर से मजबूर होकर एक हो जाते हैं और दोनों पति -पत्नी को हंसी -खुशी जीवन जीने के लिए मिला दिया जाता है।
Three Santhali Movie: आज की स्क्रीनिंग में रहे शामिल
जूरी सदस्य : मानसिंह मांझी, सागेन हांसदा तथा रविराज मुर्मू, निदेशक शंकर हेम्ब्रोम, रबिन्द्र नाथ मुर्मू। इसके साथ ही रानी मार्डी, दशरथ हांसदा, जीतराय हांसदा, फुलमनी आदि उपस्थित थीं।
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