नई दिल्ली: दक्षिण-पश्चिम दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम इकाई ने तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार कर डिजिटल अरेस्ट के जरिए 48.50 लाख रुपये की ठगी के मामले को सुलझाया है। ठगों ने एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी को सुप्रीम कोर्ट की फर्जी वर्चुअल सुनवाई दिखाकर तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उनके खातों से लाखों रुपये हड़प लिए। जांच में यह भी सामने आया कि ठग शेल कंपनियों के जरिए फर्जी बैंक खातों का संचालन कर रहे थे और इन ठगों के तार चीन के एक नागरिक से जुड़े हैं। पुलिस ने आरोपियों से तीन स्मार्टफोन और अन्य साक्ष्य बरामद किए हैं।
क्या था मामला?
यह मामला 2 मार्च का है, जब बलिराम नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि एक व्हाट्सएप कॉल पर उसे एक व्यक्ति ने टीआरएआई के दीपक शर्मा बनकर कॉल किया और मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में फंसाने की धमकी दी। इसके बाद, एक वीडियो कॉल पर एक फर्जी पुलिस अधिकारी ने उसे आधार कार्ड का दुरुपयोग और 320 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का हवाला दिया। ठगों ने उसे डराने के लिए एक वर्चुअल कोर्ट सुनवाई में फर्जी जज के सामने पेश किया, जिसने उनकी जमानत खारिज कर दी और संपत्ति का खुलासा करने का आदेश दिया।
फर्जी कोर्ट की सुनवाई और पुलिस अधिकारियों के डराने-धमकाने के कारण बलिराम ने अपने पीपीएफ, फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य बैंक खातों से कुल 48.50 लाख रुपये को फलोदी (राजस्थान) और विशाखापट्टनम के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए। तीन दिन की मानसिक यातना के बाद बलिराम ने 1930 हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज की, जिसके बाद दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम इकाई ने इस मामले की जांच शुरू की।
जांच और गिरफ्तारी
जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए व्हाट्सएप नंबरों के आईपी पते हांगकांग से जुड़े हुए थे। इसके अलावा, मनी ट्रेल से यह भी सामने आया कि 33.90 लाख रुपये विशाखापट्टनम के डीबीएस बैंक और 14.70 लाख रुपये फलोदी के एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक में शेल कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किए गए थे।
पुलिस का बयान
दिल्ली पुलिस की टीम ने हैदराबाद में थूंगा राजकुमार (46) को गिरफ्तार किया, जिसके बाद जलगांव (महाराष्ट्र) से कपिल रामभाऊ पाटिल और पुष्कर चंद्रकांत पाखले को भी पकड़ा गया। जांच में यह भी सामने आया कि ये शेल कंपनियां चीन के एक नागरिक के साथ मिलकर ठगी करने के लिए बनाई गई थीं।
डीसीपी सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि पुलिस अब इस मामले की आगे की जांच कर रही है ताकि यह पता चल सके कि इस रैकेट से और कितने लोग जुड़े हैं और अब तक इन ठगों ने कितने लोगों के साथ साइबर ठगी की है।
इस मामले में अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पुलिस ने ठगों से तीन स्मार्टफोन और अन्य साक्ष्य बरामद किए हैं। पुलिस इस रैकेट के मास्टरमाइंड और इसके अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।
यह मामला यह साबित करता है कि साइबर ठगी के रैकेट बेहद संगठित और धोखाधड़ी के नए तरीके अपना रहे हैं। नागरिकों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है, और किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश पर तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए।