नई दिल्ली। Farmers Agitation: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित अन्य मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से आंदोलित किसानों हर संभव वार्ता के लिए केंद्र सरकार तैयार हो गई है। कुछ महीनों से केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध चल रहा है (Farmers Agitation) । किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इन कानूनों में सुधार करने करने की बात कह रही है। दरअसल बात यह है कि केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत में MSP पर 5 साल खरीद वाला फॉर्मूला रखा था। किसानों ने इस फॉर्मूले को सिरे से खारिज कर दिया था। किसानों का यह रुख देखकर सरकार भी हैरान है।
Farmers Agitation: क्या था सरकार का प्रस्ताव
केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव था कि धान की खेती से भूजल स्तर पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है जो एक चिंता का विषय है। सूत्रों की मानें तो पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी किसानों से यह अपील की थी कि वे सब जमीन की उर्वरकता पर विशेष ध्यान दें और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर जोर दें ताकि खराब हो रही जमीन की हालत और भूजल स्तर में गिरावट जैसी समस्या का सामना किया जा सके।
Farmers Agitation: एक बार फिर सरकार ने की पहल
हाल ही में केंद्र की सरकार ने किसानों से बातचीत के लिए फिर से पहल की है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार किसानों से बिना किसी शर्त के बातचीत करने को तैयार है। उधर, किसानों ने भी सरकार के इस रुख का स्वागत किया है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
किसानों ने रखीं शर्तें, कृषि कानूनों को रद्द किया जाए
हालांकि किसानों की ओर से कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। किसानों ने कहा है कि बातचीत तभी होगी जब सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने की उनकी मांग पर सहमति जताए। सरकार की ओर से अभी तक किसानों की इस मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। अब यह देखना बाकी है कि क्या सरकार और किसानों के बीच इस बार कोई समझौता हो पाता है या नहीं। किसानों की मांगें यह है कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए, एमएसपी पर कानूनी गारंटी दी जाए, बिजली बिल माफ किए जाएं, और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
Farmers Agitation: अब क्या है सरकार का रुख
केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने को तैयार नहीं है बल्कि कृषि कानूनों में सुधार करने बात कह रही है। बता दें कि सरकार एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने को तैयार नहीं है। सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की बातचीत 25 फरवरी को होगी।यह देखना बाकी है कि क्या इस बार कोई समझौता हो पाता है या नहीं।
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