उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश सरकार महाकुंभ 2024 के आयोजन को और भी भव्य बनाने के लिए तैयारियों में जुटी हुई है। इस बार महाकुंभ के इतिहास में कुछ खास होने जा रहा है, क्योंकि इस बार इजरायल, अमेरिका, फ्रांस और अन्य देशों की सेना के जवान भी महाकुंभ के कार्यक्रमों में शामिल होंगे। इसके अलावा, कई प्रमुख विदेशी राजनीतिक नेता भी इस ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन में भाग लेने के लिए भारत आ रहे हैं।
महाकुंभ के इतिहास में पहली बार विदेशी सेना का शामिल होना
महाकुंभ का आयोजन हमेशा ही भारत और विशेषकर उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन इस बार की विशेषता यह है कि इस आयोजन में इजरायल, अमेरिका, फ्रांस, वियतनाम, इटली, कनाडा और म्यांमार जैसे देशों के सेना के जवान भी शामिल होंगे। यह पहली बार है जब इन देशों की सेना महाकुंभ के धार्मिक आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी। ये सेना के जवान मुख्य रूप से गंगा आरती में भाग लेने के लिए प्रयागराज आएंगे, और उनके साथ भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी होंगे।
गंगा आरती की ऐतिहासिक शुरुआत और महाकुंभ में इसका महत्व
गंगा आरती का आयोजन प्रयागराज में 1997 से किया जा रहा है और यह समय के साथ एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा बन गई है। हरिहर गंगा आरती समिति के अध्यक्ष सुरेश चंद्रा के अनुसार, गंगा आरती का आयोजन काशी की तर्ज पर प्रयागराज में भी शुरू किया गया था और तब से यह आयोजन अनवरत रूप से चलता आ रहा है। महाकुंभ के दौरान इस बार देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ भारत के प्रमुख संतों का सम्मान भी किया जाएगा, जिससे यह आयोजन और भी भव्य हो जाएगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुंभ के इस आयोजन को एक नई दिशा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें प्रमुख संतों, धर्मगुरुओं और श्रद्धालुओं को एक साथ लाकर महाकुंभ को एक ऐतिहासिक धार्मिक अवसर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
विदेशी मेहमानों के साथ भारतीय सेना की सहभागिता
महाकुंभ के दौरान इजरायल, अमेरिका, फ्रांस और अन्य देशों के दिग्गज गंगा आरती में हिस्सा लेंगे और उनके साथ भारतीय सेना के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। ये विदेशी मेहमान हरिहर गंगा आरती समिति के मेहमान के रूप में उपस्थित होंगे और इसका मुख्य उद्देश्य भारत के धर्म, संस्कृति और परंपराओं को समझने और सम्मानित करने का होगा।
महाकुंभ को और भी ऐतिहासिक बनाने के लिए पर्यावरण का ख्याल
इस बार महाकुंभ के आयोजन में पर्यावरण संरक्षण पर भी खास ध्यान दिया जाएगा। अयोध्या के प्रमुख संतों ने महाकुंभ के दौरान एक लाख ग्यारह हजार पौधों का रोपण करने का संकल्प लिया है। राम वैदेही मंदिर के प्रमुख संत स्वामी दिलीप दास त्यागी के अनुसार, यह कदम न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए है, बल्कि यह महाकुंभ को यादगार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगा।
स्वामी दिलीप दास जी और अयोध्या के अन्य प्रमुख संत महाकुंभ को अविस्मरणीय बनाने के लिए कई अन्य योजनाओं पर भी काम कर रहे हैं। पर्यावरण के प्रति इस सकारात्मक पहल को महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के बीच फैलाया जाएगा, ताकि वे भी अपने आसपास के पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखने की दिशा में जागरूक हो सकें।
महाकुंभ 2024 न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक अवसर भी है जब देश और विदेश के लोग और सेना के जवान एक साथ मिलकर इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनेंगे। योगी आदित्यनाथ की सरकार की कोशिश है कि इस महाकुंभ को भव्यता, दिव्यता और नव्यता का प्रतीक बनाया जाए। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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