Home » बिहार के मोतिहारी में मिली चार आंखों वाली मछली, जानें इसकी खासियत और खतरे

बिहार के मोतिहारी में मिली चार आंखों वाली मछली, जानें इसकी खासियत और खतरे

मछली के इस विचित्र प्रकार को लेकर जिला मत्स्य पदाधिकारी डॉ. नूतन कुमारी ने चेतावनी दी है। उन्होंने बताया कि यह मछली अत्यधिक मांसाहारी होती है और अमेजन नदी के अलावा भारत में यह मछली पहले भी बिहार की नदियों में देखी जा चुकी है।

by Anurag Ranjan
बिहार के मोतिहारी में मिली चार आंखों वाली मछली, जानें इसकी खासियत और खतरे
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

मोतिहारी : बिहार के मोतिहारी जिले में एक विचित्र और दुर्लभ मछली की खोज हुई है, जिसे देखकर लोग हैरान रह गए। अरुणा नदी में स्थानीय युवक मछली पकड़ने गए थे, जहां उन्होंने जाल में एक अजीबोगरीब मछली फंसी हुई पाई। यह मछली न केवल आकार में अलग थी, बल्कि इसमें चार आंखें भी थीं। इस मछली को देखकर लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई, और आसपास के लोग इसे देखने के लिए इकट्ठा हो गए।

अरुणा नदी में जाल में फंसी अजीब मछली

यह घटना भारत-नेपाल सीमा के पास झरौखर थाना क्षेत्र के पीठवा गांव में स्थित अरुणा नदी की है। यहां स्थानीय युवक मछली पकड़ने गए थे, जहां उन्हें पांच अजीब मछलियां मिलीं। इस दौरान सबसे खास मछली थी जो चार आंखों वाली थी। स्थानीय लोगों ने इस मछली को देखकर उसे विचित्र माना। यह मछली अपनी बनावट और आकार में अन्य मछलियों से काफी अलग थी, जिससे यह आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गई।

चार आंखों वाली मछली: सकर माउथ कैटफिश

मछली के बारे में जानकारी मिलने पर विशेषज्ञों ने बताया कि यह मछली अमेरिका की सकर माउथ कैटफिश है, जिसे वैज्ञानिक रूप से Pterygoplichthys कहा जाता है। यह मछली मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका की अमेजन नदी में पाई जाती है। सकर माउथ कैटफिश की खासियत यह है कि इसके चार आंखें होती हैं और इसके शरीर की बनावट अन्य मछलियों से काफी अलग होती है। मछली का रंग और आकार भी अन्य मछलियों से भिन्न होता है, जिसमें कई रंग होते हैं। इसके अलावा, यह मछली एरोप्लेन के आकार जैसे पंखों वाली होती है।

गंगा नदी में खतरा: इको सिस्टम पर असर

मछली के इस विचित्र प्रकार को लेकर जिला मत्स्य पदाधिकारी डॉ. नूतन कुमारी ने चेतावनी दी है। उन्होंने बताया कि यह मछली अत्यधिक मांसाहारी होती है और अमेजन नदी के अलावा भारत में यह मछली पहले भी बिहार की नदियों में देखी जा चुकी है। उन्होंने कहा, “यह मछली भारतीय नदियों के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती है। यह छोटे जलीय जीवों को खाकर जीवित रहती है, जिससे नदी का पारिस्थितिकी तंत्र (इको सिस्टम) प्रभावित हो सकता है।”

गंगा में न छोड़ी जाए मछली

डॉ. नूतन कुमारी ने यह भी कहा कि इस मछली को गंगा नदी में दोबारा नहीं छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि इससे गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है। यह मांसाहारी मछली दूसरे जलीय जीवों को अपना शिकार बनाती है, जिससे नदी का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ सकता है और जलीय जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, यह मछली भारतीय नदियों के जीवों के लिए प्रतिकूल हो सकती है।

पहले भी मिल चुकी है इस प्रकार की मछली

यह पहली बार नहीं है जब बिहार की नदियों में सकर माउथ कैटफिश पाई गई है। इससे पहले भी बगहा और कहलगांव जैसे क्षेत्रों में इस प्रकार की मछली देखी जा चुकी है, जिससे लोगों में हैरानी और चिंता बढ़ी थी। इन मछलियों के बारे में जानकार इनके भारतीय नदियों में अस्तित्व और इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं।

Read Also: BIHAR ASI MURDER CASE : बिहार में एक्शन..! अररिया में ASI की हत्या, नप गए थानाध्यक्ष

Related Articles