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चार साल की बच्ची की सगाई का मामला: BJP नेता लिफाफा देते कैमरे में कैद, लगा बाल विवाह को बढ़ावा देने का आरोप

by Neha Verma
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राजगढ़: मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले से एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस को जन्म दे दिया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह गुर्जर की एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें वे एक चार साल की बच्ची को सगाई के मौके पर लिफाफा देते हुए नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर के सामने आने के बाद राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने BJP पर बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

BJP नेता की वायरल फोटो ने बढ़ाया विवाद

वायरल तस्वीर में ज्ञान सिंह गुर्जर एक कम उम्र की बच्ची को सगाई के अवसर पर लिफाफा देते नजर आ रहे हैं। इस घटना को लेकर विपक्ष खासकर कांग्रेस पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह घटना न सिर्फ बाल विवाह कानून का उल्लंघन है, बल्कि समाज को गलत संदेश देने वाली भी है।

विवाह को प्रोत्साहित कर रहे नेता

कांग्रेस ने BJP पर आरोप लगाते हुए कहा है कि एक ओर सरकार बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ नेता ऐसे आयोजनों में शामिल होकर बाल विवाह को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता हेमराज ने सोशल मीडिया पर लिखा कि BJP जिलाध्यक्ष खुद बाल सगाई में जाकर इस कुप्रथा को समर्थन दे रहे हैं।

BJP जिलाध्यक्ष ने दी सफाई

इस विवाद के बीच ज्ञान सिंह गुर्जर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने सामाजिक रीति-रिवाजों के तहत सगाई की रस्म में हिस्सा लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल सगाई थी और शादी लड़की के बालिग होने के बाद ही की जाएगी। उनके अनुसार, ‘समय पर अच्छे रिश्ते मिलना मुश्किल हो जाता है, इसीलिए कई समाजों में जल्दी सगाई की परंपरा है।’

बाल विवाह पर कानून और सामाजिक चेतना

भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के का विवाह गैरकानूनी है। सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन लगातार इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहे हैं। ऐसे में किसी राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता का इस तरह के आयोजन में शामिल होना कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टिकोण से सवालों के घेरे में आ गया है।

सोशल मीडिया पर लोगों के रिएक्शन

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोग दो धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं। एक ओर लोग इसे परंपरा और सामाजिक रीति-रिवाज का हिस्सा बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बालिका की उम्र को लेकर कानूनी और नैतिक सवाल भी उठाए जा रहे हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

बाल अधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी सूरत में नाबालिग बच्चों की सगाई या शादी को सामाजिक परंपरा के नाम पर न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। विशेषज्ञों ने चेताया है कि ऐसे मामलों से देश में बाल विवाह की वर्तमान दर को नियंत्रित करने की कोशिशों को धक्का लग सकता है।

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