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Ganagaur festival 2025 : अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं मनाएंगी गणगौर पर्व, 1 अप्रैल को होगी पूजा

by Anand Mishra
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रांची : हिंदू धर्म में आस्था और श्रद्धा का पर्व गणगौर 1 अप्रैल को राजधानी रांची में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए होता है, जिसे चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाने की परंपरा है। गणगौर पूजा भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करती हैं और इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है।

महिलाओं के लिए विशेष महत्व

इस व्रत को करने की मान्यता है कि महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, अविवाहित युवतियां भी भगवान शिव जैसा पति प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।

भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद

जिला मारवाड़ी सम्मेलन के संयुक्त महामंत्री और प्रणामी ट्रस्ट के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने शुक्रवार को बताया कि गणगौर शब्द “गण” और “गौर” दो शब्दों से मिलकर बना है। “गण” का अर्थ भगवान शिव से और “गौर” का अर्थ माता पार्वती से है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव के साथ मिलकर सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए भ्रमण करती हैं।

17 दिनों तक चलने वाली पूजा

गणगौर पर्व की शुरुआत फाल्गुन माह की पूर्णिमा (होली) के दिन से होती है और यह अगले 17 दिनों तक चलता है। इन 17 दिनों में महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाती हैं और पूजा करती हैं। साथ ही, वे गीत गाकर श्रद्धा भाव से इस पर्व को मनाती हैं।

चैत्र नवरात्रि और गणगौर विसर्जन

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और व्रत और पूजा करती हैं। इसके बाद, शाम के समय वे गणगौर की कथा सुनती हैं और गणगौर की प्रतिमाओं को नदी और तालाबों में विधि-विधान से विसर्जित करती हैं।

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